हेल्थ डेस्क: हिंदू धर्म अपनी परंपराओं और रस्मों के कारण अपनी अलग ही छाप छोड़ता है। कई ऐसी मान्यताएं भी है जिनका होने का कारण की लोगों को नहीं मालूम होता है। फिर भी वह मान्यताएं मानते है। इन्हीं में से एक मान्यता है मुंडन संस्कार। इसका होने का क्या पौराणिक कथा या क्या परंपरा है। लेकिन मुंडन संस्कार कराने से स्वास्थ्य में जरुर प्रभाव पड़ता है।
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हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार में बच्चे की उम्र के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर उसके बाल उतारे जाते हैं और यज्ञ किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार कहा जाता है। जानिए इसके कराने के पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण।
बैक्टीरिया को को करें खत्म
वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार जब बच्चा मां की गर्म में होता है, तो उसके सिर के बालों पर अधिक मात्रा में बैक्टीरिया, जीवाणु आदि होते है। जोकि साधारण धोने से नहीं जाते है। इसलिए बच्चें का मुंडन कराने की प्रथा है।
माइंड को रखें ठंडा
शिशु को जन्म के बाद भी मां की गर्मी की जरुरत होती है। जोकि किसी दूसरे इंसान से नहीं मिल सकती है। वही एक उम्र के बाद इस गर्मी की जरुरत नहीं होती है। जिसके कारण मुंडन कराया जाता है। जिससे कि यह गर्मी खत्म हो जाएं। इससे दिमाग व सिर ठंडा रहता है व बच्चों में दांत निकलते समय होने वाला सिर दर्द व तालु का कांपना बंद हो जाता है। शरीर पर और विशेषकर सिर पर विटामिन-डी (धूप के रूप) में पड़ने से कोशिकाएं जाग्रत होकर खून का प्रसारण अच्छी तरह कर पाती हैं जिनसे भविष्य में आने वाले बाल अच्छे होते है।