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...तो इस कारण महिलाओं को नहीं करना चाहिए साष्टांग दंडवत प्रणाम

आपने यह कभी ध्यान दिया है कि महिलाएं इस प्रणाम को क्यों नहीं करती है। इस बारें में शास्त्र में बताया गया है। जानिए क्या?

India TV Lifestyle Desk
Published on: April 01, 2017 13:16 IST
sashtang dandavat pranam- India TV Hindi
sashtang dandavat pranam

हेल्थ डेस्क: आज के समय में हर कोई फिट रहने की कोशिश करता है। फिर चाहें वो महिला हो या फिर पुरुष। हर कोई जिम, योग, एक्सरसाइज और न जाने कौन-कौन से टिप्स अपनाते है। जिससे कि वह फिट दिख सकें। कई तरह के प्रणायाम भी करते है। इन्हीं में से है साष्टांग दंडवत प्रणाम।

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आमतौर पर आज के समय में पैरों को हल्का सा स्पर्श कर आर्शीवाद लेते है। जो कि एक फॉरमेल्टी करते है। कई बार हम मंदिर जाकर बी खुकर माता के सामने माथा टेक लेते है। आपने कभी ये देखा है कि कई लोग मूर्ति के सामने लेट कर माथा टेकते है। जी हां इसी को साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस प्रणामें व्यक्ति का हर एक अंग जमीन को स्पर्श करता है। जो कि माना जाता है कि व्यक्ति अपना अहंकार छोड़ चुका है। इस आसन के जरिए आप ईश्वर को यह बताते हैं कि आप उसे मदद के लिए पुकार रहे हैं। यह आसन आपको ईश्वर की शरण में ले जाता है। लेकिन आपने यह कभी ध्यान दिया है कि महिलाएं इस प्रणाम को क्यों नहीं करती है। इस बारें में शास्त्र में बताया गया है। जानिए क्या?

शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह प्रणाम को स्त्रियां नहीं कर सकती है। जो करती भी है उन्हें यह प्रणाम नहीं करना चाहिए।

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