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महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, ऐसे करें खुद का बचाव

अगर महिलाएं इस बात को समझ जाएं कि उनके जीन उन्हें कैंसर होने की पूरी तरह भविष्यवाणी नहीं कर सकते। उन्हें अपने जीवनशैली में बदलाव लाना होगा, जिससे वे इस घातक बीमारी से बच सकती हैं।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 17, 2017 11:42 IST
cancer- India TV Hindi
Image Source : PTI cancer

हेल्थ डेस्क: स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से महिलाओं में स्तन कैंसर के विकसित होने का खतरा काफी कम हो जाता है। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के शोध में यह जानकारी मिली है। शोधकर्ताओं के अनुसार, विकासशील देशों की महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है।

इस शोध के निष्कर्ष से पता चला है कि अमेरिका की 30 साल की गोरे रंग की त्वचा वाली महिला को औसतन 80 साल की उम्र तक स्तन कैंसर होने की संभावना 11.3 फीसदी होती है। हालांकि अल्कोहल के कम इस्तेमाल, वजन पर काबू और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से बचने से स्तन कैंसर के मामले को 30 फीसदी तक टाला जा सकता है।

अमेरिका के जॉन होपकिंग्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निलंजन चटर्जी का कहना है, "आप अपनी जीन को तो बदल नहीं सकते। लेकिन हमारे निष्कर्षो से पता चला है कि जिन लोगों को उच्च अनुवांशिक खतरा होता है। वे अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर जैसे सही खानपान, कसरत और तंबाकू के परहेज जैसी चीजों से उसे रोक सकते हैं।"

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यह शोध जामा ओंकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। एक बार अगर महिलाएं इस बात को समझ जाएं कि उनके जीन उन्हें कैंसर होने की पूरी तरह भविष्यवाणी नहीं कर सकते। उन्हें अपने जीवनशैली में बदलाव लाना होगा, जिससे वे इस घातक बीमारी से बच सकती हैं।

चटर्जी कहते हैं, "इस शोध के निष्कर्षो से लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लाभ को व्यक्तिगत स्तर पर समझने में मदद मिलती है।"

शोधकर्ताओं का कहना है कि हालांकि यह शोध फिलहाल गोरी महिलाओं पर ही लागू होते हैं। विभिन्न जातीय समूहों के जीन के प्रभाव को समझने के लिए आगे अन्य शोध करने की जरूरत है।

बचने के उपाय

  • स्मोकिंग करने से बचे।
  • शरीर का वजन संतुलित रखें।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • अल्कोहल का उपयोग कंट्रोल में करें। अगर आप ड्रिंक करते हैं तो फोलेट सप्लीमेंट लेने से संभवत: आप खुद में स्तन कैंसर का जोखिम कम कर सकते हैं।
  • नियमित मैमोग्राम कराएं। मैमोग्राम से स्तन कैंसर का पता दो से पांच साल में लगाया जा सकता है जब तक कि ट्यूमर किसी उभार की तरह महसूस करने लायक विकसित नहीं हुआ होता। ऐसी महिलाएं जिनको आशंका हो कि उनमें आनुवंशिक कारणों से स्तन कैंसर का जोखिम ज़्यादा है उनको टेस्टिंग से पहले जेनेटिक काउंसलर से सलाह करनी चाहिए।

 

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