इस शोध की मुताबिक, बोतल पर जमा इन जीवाणुओं में से करीब 60 प्रतिशत कीटाणु ऐसे होते हैं जो आपको बीमार कर सकते हैं। इन कीटाणुओं से डायरिया, फूड पॉइजनिंग, नॉजिया, उल्टी, आदि पेट संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। उन बोतलों से अधिक समस्या होती है जिनका प्रयोग बार-बार मुंह लगाकर किया जाता है और उनकी सफाई ठीक से नहीं होती। मुंह लगाने से लार खुली हवा में मौजूद जीवाणुओं से सीधी प्रतिक्रिया होती है और कई गुना कीटाणु उस जगह पर रहने लगते हैं।
करें ये काम
सभी पानी की बोतलों को बनाने में पॉलीमर का प्रयोग किया जाता है जो पानी के तापमान के आधार पर प्रतिक्रिया करते हैं। ऐसे में वह पीने के पानी को खतरनाक भी बना सकते हैं। इसलिए अगर आप पानी की बोतल खरीद रहे हैं तो थोड़ा अधिक पैसे खर्च करें और अच्छी प्लास्टिक वाली बोतल का ही प्रयोग करें। इसके साथ ही समय-समय पर पानी की बोलत बदलते रहें। हो सकें तो प्लास्चिक की जगह मेटल की बोतल का इस्तेमाल करें।