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जानिए, आखिर कितना सुरक्षित है बच्चों के लिए डिब्बाबंद दूध

नई दिल्ली: देश तरक्की की राह में चल रहा है। जिसमें लोग इतने आगे बढ़ गए है कि वह अब ज्यादा शो ऑफ में रहते है। जिसके कारण हर चीज में मिलावट और न जाने

India TV Lifestyle Desk
Published on: December 19, 2016 11:23 IST
baby drinking milk
baby drinking milk

के.एन.अग्रवाल कहते हैं, "यदि आपका बच्चा डायरिया की समस्या से ग्रसित है और उचित दूध के सेवन के बावजूद उसका विकास नहीं हो पा रहा है तो वह नकली दूध या दूषित डिब्बाबंद दूध पाउडर का शिकार है।"

बच्चों के दूध पाउडर को तैयार करते समय तमाम तरह के सुरक्षा मानकों को ताक पर रख दिया जाता है। देश में मौजूदा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बेबी दूध पाउडर ब्रांड की जांच के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) द्वारा 2011 में कराए गए सर्वेक्षण में देश में वितरित 68.4 फीसदी दूध नकली पाया गया है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

चीन में वर्ष 2008 में नकली दूध का मामला सामने आया था। शोध में दूध पाउडर में मैगनीज पाया गया था। नवजात बच्चे अपने पहले वर्ष में अत्यधिक मात्रा में मैगनीज को पचा नहीं पाते और ठीक इसी तरह के हालात भारत में भी देखने को मिल रहे हैं। इन सबके बीच विभिन्न संस्थाएं अपना पल्ला झाड़ने में लगी है।

बीआईएस का कहना है कि वह सिर्फ पैकेजिंग को स्वीकृति देती है। सुरक्षा मानक तय करना उसकी जिम्मेदारी नहीं है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंर्डडस का कहना है कि वह आईएसआई मार्क प्रदान करती है और उसने मौजूदा समय में 30,000 लाइसेंसों को आईएसआई मार्क दिया है।

बीआईएस के एक वैज्ञानिक गोपीनाथ ने आईएएनएस को बताया कि नवजातों के खाद्य उत्पादों के दो प्रकार हैं - एक नवजातों के खाद्य सबस्टीट्यूट हैं और दूसरा अनाज आधारित खाद्य हैं।

यह पूछने पर कि बीआईएस ने इस पर लगाम लगाने के लिए क्या कदम उठाए हैं, उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई ने बीआईएस पंजीकरण के बाद ही इन उत्पादों को बेचने की व्यवस्था की है।

अजीब विडंबना है कि देश में 1.25 अरब लोगों की इस आबादी में दूध के सही मापदंड का कोई मानक या कानून ही नहीं है। भारत से बाहर जाने वाले उत्पादों पर प्रमाणीकरण समाधान का उपयोग होता है, लेकिन देश में इस्तेमाल होने वाले कई उत्पादों पर इसकी कोई व्यवस्था नहीं होती।

एस्पा के महासचिव अरुण अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, "हमारे देश में शराब की बोतलों पर प्रमाणीकरण के लिए होलोग्राम का प्रयोग किया जाता है, ताकि लोगों को नकली शराब से बचाया जा सके, मगर दूध पाउडर पर इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।"

उन्होंने बताया कि एस्पा ने बीआईएस को प्रमाणीकरण समाधान का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया है। इस तरह के प्रमाणीकरण समाधान से कोई भी आम नागरिक इंटरनेट, मोबाइल एप या मोबाइल संदेश के जरिए असली व नकली की पहचान में सक्षम है। यह तकनीक आईएसओ मानकों के दिशानिर्देशों के अनुरूप है जो जालसाजी को रोकने में सक्षम है।

साफ है कि मामला बहुत ही गंभीर है, अगर प्रशासन अब भी नहीं चेता तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिसकी सारी जवाबदेही प्रशासन की ही होगी।

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