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जानिए, आखिर कितना सुरक्षित है बच्चों के लिए डिब्बाबंद दूध

नई दिल्ली: देश तरक्की की राह में चल रहा है। जिसमें लोग इतने आगे बढ़ गए है कि वह अब ज्यादा शो ऑफ में रहते है। जिसके कारण हर चीज में मिलावट और न जाने

India TV Lifestyle Desk
Published : December 19, 2016 11:23 IST
baby drinking milk
baby drinking milk

नई दिल्ली: देश तरक्की की राह में चल रहा है। जिसमें लोग इतने आगे बढ़ गए है कि वह अब ज्यादा शो ऑफ में रहते है। जिसके कारण हर चीज में मिलावट और न जाने क्या-क्या खाकर अपनी सेहत को नुकसान पहुंचाते है। इसी राह में बच्चों को एक बड़ी तादाद डिब्बाबंद दूध पाउडर पर निर्भर है, बावजूद इसके सुरक्षा मानकों पर किसी का ध्यान नहीं गया है।

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यह दूध कितना सुरक्षित है, इस बारे में न तो कभी सोचा गया, न ही कोई कदम उठाया गया है। सवाल यह है कि जिस देश में शराब की बोतलों पर सुरक्षा मानकों का प्रयोग किया जाता है, वहां डिब्बाबंद दूध पर इसका उल्लेख क्यों नहीं होता?

बच्चों और खासकर नवजात से जुड़े होने के बावजूद इसके प्रति इस तरह की लापरवाही हैरत में डालने वाली है, जबकि डिब्बाबंद दूध पाउडर की बाजार में धड़ल्ले से खरीद-फरोख्त जारी है।

एक अनुमान के मुताबिक, देश में दूषित दूध पीने से नवजातों की मौत के मामले बढ़े हैं। चीनी दूध कंपनियों ने जांच में डिब्बाबंद दूध पाउडर में मेलामिन नाम के एक तत्व की मौजूदगी पाई है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

विदेशी दूध की कंपनियां बड़ी मात्रा में दूध का पाउडर बनाकर भारत में बेचकर मोटा मुनाफा कमाती हैं। शहरीकरण की वजह से बड़ी मात्रा में दूध पाउडर की खपत भी हो रही है। चिकित्सकों का मानना है कि डिब्बाबंद नकली दूध पाउडर माफियाओं द्वारा चलाए जाते हैं। ये माफिया नकली दूध के कारोबार में लगे हुए हैं।

मशहूर शिशु चिकित्सक डॉ. के.एन. अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, "इस दूध पाउडर को यूरिया और डिटर्जेट से तैयार किया जाता है जो बच्चों के लिए बहुत हानिकारक है। नकली दूध से बच्चों को अस्थमा, हैजा, ल्यूकमेनिया, मधुमेह, क्षत-विक्षत अंग और पथरी जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।"

अग्रवाल ने कहा कि चीन में हाल ही में हुए स्कैंडल से पता चलता है कि मुनाफा कमाने की जल्दबाजी में इस तरह की धोखाधड़ी की जाती है यानी बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

बच्चों के लिए बने दूषित एवं नकली दूध पाउडर के कारोबार में बड़ी सांठगांठ है। ऐसे में हर साल 2.5 करोड़ नवजातों की सुरक्षा के लिए बेबी दूध पाउडर और अन्य पोषक उत्पादों का सही होना सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।

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