हेल्थ डेस्क: आज के समय में हर टॉयलेट में पेपर टॉवल का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हम बड़ी ही आसानी से अपने हाथ पोछ लेते है और सोचते है कि वह साफ है लेकिन यह भूल जाते है कि हमने अपने हाथों पर अधिक कीटाणुओं को पहुंचा दिया है। इतना ही नहीं शौचालय में मौजूद एक और चीज खतरनाक साबित हो सकती है। जी हां जेट-एयर ड्रायर। जी हां जिससे हम अपने हाथों को सुखाते है। इसका इस्तेमाल करने से ये पेपर टॉवल से कई गुना खतरनाक साबित हो सकता है। यह बात एक शोध में सामने आई कि इसके इस्तेमाल से आपको इंफेक्शन हो सकता है।
हाल में हुए एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि अस्पतालों के शौचालयों में जेट-एयर हैंड ड्रायर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये एक बार इस्तेमाल होने वाले पेपर टॉवल (टिशू पेपर) के मुकाबले ज्यादा रोगाणु फैलाते हैं। (टीबी के कारण महिलाएं और पुरुष दोनों हो रहे है बांझपन का शिकार, इन संकेतो को न करें इग्नोर )
जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इंफेक्शन में प्रकाशित अध्ययन में असल जिंदगी की परिस्थितियों में तीन अलग-अलग देशों के अस्पतालों के दो-दो शौचालयों में जीवाणुओं के प्रसार का अध्ययन किया गया। यह अस्पताल ब्रिटेन, फ्रांस और इटली में हैं। (देश के डेढ़ करोड़ लोग मानसिक स्वास्थ्य के शिकार, ऐसे करें आप खुद का बचाव )
प्रत्येक शौचालय में टिशू पेपर और जेट-एयर ड्रायर लगे थे लेकिन एक बार में इनमें से एक का ही इस्तेमाल अध्ययन के लिये तय दिन में किया गया।
ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के प्रोफेसर मार्क विल्कोक्स ने कहा, ‘‘समस्या शुरू हुई क्योंकि कुछ लोगों ने अपने हाथ सही से नहीं धोए।’’
विल्कोक्स ने कहा, ‘‘जब लोगों ने जेट-एयर ड्रायर का इस्तेमाल किया तो रोगाणु उड़ गए और पूरे शौचालय कक्ष में फैल गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके प्रभावस्वरूप ड्रायर एक एरोसोल के तौर पर काम करता है जो ड्रायर और संभवत: सिंक, दीवार और सतहों समेत समूचे शौचालय कक्ष को दूषित करता है। यह काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि ड्रायर की डिजाइन कैसी है और इसे कहां लगाया गया है।’’
उन्होंने कहा कि अगर लोग इन सतहों को छूते हैं तो उनके बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमित होने का जोखिम ज्यादा रहता है।
जेट-एयर ड्रायर अक्सर अ-स्पर्श प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, टिशू पेपर हाथ पर बचे पानी और रोगाणुओं को सोख लेते हैं और अगर उन्हें उचित तरीके से निस्तारित किया जाता है तो इसके रोगाणुओं के प्रसार का खतरा काफी हद तक कम होता है।
(इनपुट आईएएनएस)