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घर के अंदर का वायु प्रदूषण आपके फेफड़ों को कर सकता है खराब, जानें क्या है एक्सपर्ट की राय

घर के अंदर का वायु प्रदूषण दीर्घकाल में फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है और यह सीओपीडी के जोखिम का एक कारक है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 22, 2018 19:38 IST
Air Pollution- India TV Hindi
Air Pollution

हेल्थ डेस्क: घर के अंदर का वायु प्रदूषण दीर्घकाल में फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है और यह सीओपीडी के जोखिम का एक कारक है। यह कहना है हर्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) का। संस्था ने 25वें एमएनटीएल परफेक्ट हैल्थ मेला 2018 के हिस्से के रूप में इस मूक हत्यारे के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है, जो 23 से 27 अक्टूबर के बीच यहां तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा।

संस्था के अध्यक्ष, डॉ. के. के. अग्रवाल ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा है, "सीओपीडी एक ऐसी बीमारी है, जो समय के साथ विकसित होती है, और इसके पीछे धूम्रपान और केमिकल्स का विशेष योगदान होता है। कुछ लोगों को आनुवंशिक रूप से सीओपीडी हो जाता है। इस स्थिति से पीड़ित पांच प्रतिशत लोगों में अल्फा-1-एंटीट्रिप्सिन नामक एक प्रोटीन की कमी होती है, जो फेफड़ों को खराब कर देता है और यकृत को भी प्रभावित कर सकता है।" (टूथब्रश से ज्यादा फायदेमंद है दातून, रोजाना करने से होगा दांत संबंधी इन खतरनाक बीमारियों का नाश )

सीओपीडी के कुछ सामान्य संकेतों और लक्षणों में सामान्य खांसी या बलगम वाली खांसी, सांस की तकलीफ, खासकर शारीरिक गतिविधि के समय, सांस लेने के दौरान घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आदि शामिल हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के लिए सबसे प्रभावी और निवारक थेरेपी है तम्बाकू के धुएं से बचाव। दवा में ब्रोंकोडाइलेटर्स शामिल हैं, जो एयर पाइप के चारों ओर की मांसपेशियों को आराम देते हैं। ये वायुमार्ग को खोलने के साथ-साथ सांस लेने में आसानी पैदा करते हैं। सर्जरी आमतौर पर अंतिम उपाय होता है।"

बयान के अनुसार, भारत में लगभग 5.5 करोड़ लोग फेफड़ों की पुरानी अवरोधक बीमारी से पीड़ित हैं, और देश में मृत्यु दर के पांच प्रमुख कारणों में से तीन गैर-संक्रमणीय बीमारियां हैं और सीओपीडी मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

बयान के अनुसार, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसेमा समेत फेफड़ों की निरंतर बढ़ने वाली सूजन की बीमारियों का वर्णन करने के लिए एक शब्द है- सीओपीडी, जो एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है।

डॉ. अग्रवाल के अनुसार, स्वस्थ फेफड़ों के लिए मछली और नट जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड से समृद्ध आहार लेना चाहिए। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बचें, क्योंकि यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और इसे संक्रमण और बीमारियों से घेर सकता है। सुनिश्चित करें कि आप अक्सर अपने फर्नीचर से धूल हटाते रहें और अपने घर को धूम्रपान और वायु प्रदूषण मुक्त क्षेत्र बनाएं।

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