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'महिलाओं व बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन दुरुपयोग समाज के लिए खतरा'

 सोशल मीडिया के व्यापक उपयोग और इस पर निगरानी ढांचे की कमी से आज महिलाओं और बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति हमारे समाज के लिए असली खतरा बनती जा रही है। सेंटर फॉर सीएसआर एंड सस्टेनेबिलिटी एक्सेलेंस (सीसीएसई) के चेयरमैन डा. सौमित्रो चक्रवर्ती ने यह बात कही।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: September 16, 2018 11:12 IST
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नई दिल्ली: सोशल मीडिया के व्यापक उपयोग और इस पर निगरानी ढांचे की कमी से आज महिलाओं और बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति हमारे समाज के लिए असली खतरा बनती जा रही है। सेंटर फॉर सीएसआर एंड सस्टेनेबिलिटी एक्सेलेंस (सीसीएसई) के चेयरमैन डा. सौमित्रो चक्रवर्ती ने यह बात कही। बच्चों को साइबर धमकी का शिकार होने के संदर्भ में सौमित्रो चक्रवर्ती ने कहा, "बच्चों को ऑनलाइन धमकाया जाता है। कुछ बच्चे अनजाने में खुद इसका शिकार हो जाते हैं। वहीं बीच-बीच में ब्लू व्हेल और मोमो चैलेंज जैसे सोशल मीडिया खेल हमारे बच्चों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।"

महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन स्थान बनाने के विषय पर टॉक शो 'डी-टॉक' आयोजित किया गया। 'माई सेफ स्पेस' नामक फ्लैगशिप टॉक शो का उद्देश्य महिलाओं को ऑनलाइन ट्रोलिंग और दुर्व्यवहार की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करना है। 

गैर-लाभकारी संस्था सेंटर फॉर सीएसआर एंड सस्टेनेबिलिटी एक्सेलेंस ने नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में टॉक शो 'डी-टॉक' आयोजित किया। टॉक सत्र का एजेंडा ऑनलाइन क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों द्वारा देखी गई प्रमुख प्रकार के अपराधों पर जोर देना था तथा महिलाओं और कानूनी विधियों के अधिकारों पर सिफारिशें प्रदान करना था।

इस शो में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट एंड एक्टिविस्ट डा. जयंती दत्ता, एडवोकेट प्रशांत माली बंबई हाईकोर्ट, एडवोकेट पवन दुग्गल सुप्रीम कोर्ट, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ रक्षित टंडन ने चर्चा सत्र में हिस्सा लिया। 

डा. जयंती दत्ता ने माता-पिता को सोशल मीडिया की लत के विशेष चिन्हों को देखने का सुझाव दिया। उदाहरण के लिए यदि आपका बच्चा अपने फोन का बहुत शौकीन लगता है और उसके व्यवहार में बदलाव दिख रहा है, सामाजिक बातचीत कम हो रही है तब माता-पिता को ध्यान देना चाहिए। आप सभी जानते हैं, बच्चे साइबर खतरे के दायरे में हो सकते हैं। उन्होंने मोमो और किकी जैसे खेलों के नकारात्मक प्रभाव का भी उल्लेख किया।

साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा, "एक राष्ट्र के रूप में हमने साइबर धमकी के मामलों को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किए हैं, इस वजह से इन मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।" उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि साइबर धमकी स्कूल कल्चर का हिस्सा बन रही है और इस तरह की मानसिकता की जांच की आवश्यकता है। उन्होंने श्रोताओं को वर्चुअल दुनिया में बुद्धिमानी से दोस्त चुनने का सुझाव दिया। माई सेफ स्पेस पर डी-टॉक में पेशेवर, माता-पिता और युवा शामिल हुए। इसमें करीब 300 लोगों की मौजूदगी रही। 

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