पहली बातचीत में मां और बच्चों की जोड़ी ने अपने पसंदीदा पर्यटन स्थल पर छुट्टियां बिताने को लेकर बातचीत की और दूसरी बातचीत में उनके बीच तनाव के मामलों को लेकर बातचीत हुई, जिसमें होमवर्क करना, टीवी या कम्प्यूटर का प्रयोग करना, स्कूल की समस्याएं, समय पर तैयार होना जैसे विषय शामिल थे।
निष्कर्षो से पता चला कि वे मांएं जिनका अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, उनका अपने बच्चों के साथ नकारात्मक बातचीत के दौरान उनके दिल की धड़कन में काफी उतार-चढ़ाव आ जाता है।
शोध प्रमुख मैरी वूडी बताती हैं, "हमने पाया कि जिन मांओं में अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, वे उस क्षण में अपने बच्चों की शारीरिक क्रिया के साथ तालमेल बिठा लेती हैं।"
वूडी आगे कहती हैं, "जिन महिलाओं का अतीत अवसाद से घिरा रहा था, हमने उनके साथ बिल्कुल विपरीत स्थिति देखी। उनका आपस में बिल्कुल तालमेल नहीं था। जब एक बातचीत में एक व्यक्ति अधिक शामिल होता था तो दूसरा दूर चला जाता था। इस तरह उनकी आपस में पटती नहीं थी।"
शोधकर्ताओं का कहना है कि खासतौर से जिन महिलाओं की मां के परिवार में अवसाद का माहौल रहा था, उनके साथ अवसाद के अगली पीढ़ी तक पहुंचने का खतरा रहता है।