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अब इमरजेंसी के मरीजों की जान बचा सकेंगे होम्योपैथिक डॉक्टर

दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों की जान बचाने के लिए पहले 60 मिनट जान बचाने के लिहाज से जरूरी होते हैं, जबकि दिल और दिमाग के दौरे में सिर्फ 4 मिनट का समय होता है। ऐसे में अब होम्योपैथिक डॉक्टर भी इमरजेंसी के मरीजों की जान बचा सकेंगे।

Edited by: IANS
Published : February 05, 2018 12:07 IST

homoepatheic

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डा. सुरेखा ने कहा कि जनरल प्रैक्टिशनर भारतीय स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली की रीढ़ की हड्डी है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से होम्योपैथिक डॉक्टरों को अब तक एलोपैथिक दवाएं लिखने की सुविधा न देकर इस रीढ़ की हड्डी को लकवे से पीड़ित कर दिया गया था। हर पैथी की अपनी सीमाएं हैं, होम्योपैथिक दवाओं से इमरजेंसी में डॉक्टरों के पास आए मरीज को तुरंत कोई फायदा नहीं हो सकता। इस हालात में हमारे सामने केवल दो ही विकल्प बचते हैं कि या तो हम कानून में बदलाव कर होम्योपैथिक या भारतीय चिकित्सा पद्धति के तहत प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को मरीजों को इमरजेंसी ट्रीटमेंट देने के हथियार से लैस करें या कुछ भी न करें और मरीज को अपने हाल पर छोड़ दें। 

उन्होंने कहा कि देश की स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने, बहुसंख्यक आबादी को लाभ देने और मरीजों की जान बचाने के मकसद से होम्योपैथिक और आईएसएम डॉक्टरों को मेनस्ट्रीम में लाना बहुत जरूरी है। 

 

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