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अगर आपको दूध से बनी चीजे हैं ज्यादा पसंद, तो हो जाएं सावधान

पनीर, दूध, मक्खन, मांस और चॉकलेट खाना अगर आपको ज्यादा पसंद है, तो सावधान हो जाइए। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि इस तरह के संतृप्त वसा अम्लों वाले पदार्थो के सेवन से दिल के रोगों की संभावना बढ़ सकती है.

India TV Lifestyle Desk
Updated : November 25, 2016 16:29 IST
satured fat
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हेल्थ डेस्क: आज के समय में हर कोई अपनी लाइफस्टाइल में इतना बिजी होता है कि खुद के लिए इतना समय नहीं निकाल पाता है कि कुछ हेल्दी खा ले। बस पेट भरने के लिए जंक फूड, नॉनवेज का ज्यादा सेवन करते है। जिसमें भरपूर मात्रा में वसा पाया जाता है। जो कि सेहत के लिए हानिकारक है। एक रिसर्च में ये बात सामने आई कि अधिक मात्रा में वसा का सेवन करना आपके दिल के लिए भारी पड़ सकता है।

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पनीर, दूध, मक्खन, मांस और चॉकलेट खाना अगर आपको ज्यादा पसंद है, तो सावधान हो जाइए। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि इस तरह के संतृप्त वसा अम्लों वाले पदार्थो के सेवन से दिल के रोगों की संभावना बढ़ सकती है। अध्ययन में कहा गया है कि एक प्रभावी निवारक दृष्टिकोण के तौर पर इन पदार्थो की जगह असंतृप्त वसाओं, साबुत अनाज, कार्बोहाइड्रेट या वनस्पति प्रोटीन लेना चाहिए।

निष्कर्षो से पता चलता है कि संतृप्त वसा अम्लों के संयुक्त समूह से प्राप्त होने वाली हर रोज एक प्रतिशत दैनिक खपत ऊर्जा को बहुअसंतृप्त वसाओं, एकल असंतृप्त वसाओं, साबुत अनाज, कार्बोहाइड्रेट या वनस्पति प्रोटीन से प्रतिस्थापित करने से दिल के रोगों के जोखिम में 6-8 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।

हॉर्वर्ड टी.एच.चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में डॉक्टरेट के छात्र जेंग जांग ने कहा, "आहार की सिफारिशों में पूरे संतृप्त वसा को असंतृप्त वसा या साबुत आनाज कार्बोहाइड्रेट से बदले जाने की बात होनी चाहिए, यह हृदय-धमनी से संबंधित रोगों को रोकने के तौर पर प्रभावी कदम होगा।"

इस अध्ययन के लिए शोध दल ने अमेरिका के 1984-2012 के बीच 73,147 महिलाओं और साल 1986-2010 के बीच 42,635 पुरुषों के आंकड़ों का विश्लेषण किया।

इसके परिणामों से पता चला कि सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले संतृप्त वसा अम्लों में लॉरिक अम्ल, मरिस्टिक अम्ल, पामिटिक अम्ल और स्टेरिक अम्ल हैं। यह प्रतिभागियों में 9-10 प्रतिशत कुल ऊर्जा के लिए जिम्मेदार हैं। ये सभी संतृप्त वसा अम्ल हृदय धमनी रोगों के खतरों के बढ़ने से जुड़े हुए हैं।

इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने पाया कि जोखिम में कमी संतृप्त वसा अम्लों को अधिक स्वस्थ पोषक तत्वों से बदलने से जुड़ा हुआ है।

इस अध्ययन का प्रकाशन पत्रिका 'द बीएमजी' में किया गया है।

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