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World Heart Day 2018: लिपिड सामान्य होने पर हो सकती है हार्ट प्रॉब्लम, ऐसे करें बचाव

दुनियाभर में और भारत में दिल की बीमारियों (कार्डियोवैस्कुलर रोगों) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश के गांवों में रहने वाले लोग भी हाइपरलिपिडेमिया, हाइपरटेंशन, मधुमेह अैर तनाव के कारण दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: September 29, 2018 12:19 IST
heart problem- India TV Hindi
heart problem

हेल्थ डेस्क: दुनियाभर में और भारत में दिल की बीमारियों (कार्डियोवैस्कुलर रोगों) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश के गांवों में रहने वाले लोग भी हाइपरलिपिडेमिया, हाइपरटेंशन, मधुमेह अैर तनाव के कारण दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। देश में डॉक्टरों की सबसे पसंदीदा डायग्नॉस्टिक चेन एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स ने पिछले पांच सालों के दौरान किए गए कोरोनरी रिस्क प्रोफाइल टेस्टिंग से प्राप्त हुए आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

इस विश्लेषण में रुटीन लिपिड प्रोफाइल टेस्ट जैसे टोटल कोलेस्ट्रॉल (टीसी), लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल), हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) और ट्राई ग्लीसराईड्स (टीजी) जांच के परीक्षणों पर ध्यान दिया गया, ये जांचे आमतौर पर व्यक्ति में दिल की बीमारियों की संभावना का पता लगाने के लिए की जाती हैं। 

दुनियाभर में डॉक्टर ये चार तरह की जांच करवाने की सबसे ज्यादा सलाह देते हैं। विश्लेषण में पाया गया कि एक तिहाई नमूने (34 फीसदी) में से चारों या कम से कम तीन लिपिड के परिणाम सामान्य थे। उनमें असामान्य या एपोलिपोप्रोटीन पाया गया। यह विश्लेषण अगस्त, 2013 से जुलाई, 2018 के बीच देशभर की एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स लैब्स में किए गए 9933 लिपिड प्रोफाइल जांचों पर आधारित है।

लिपोप्रोटीन (ए) दिल की बीमारियों की संभावना का आधुनिक संकेतक है, जो कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज की संभावना को बताता है। एपोलिपोप्रोटीन ए 1 और बी क्रमश: एचडीएल और एलडीएल के प्रोटीन फ्रेगमेंट्स हैं। जिन बच्चों के परिवार में दिल की बीमारियों या हाई ब्लड कॉलेस्ट्रॉल का इतिहास हो, उनमें लिपोप्रोटीन (ए) की जांच की सलाह दी जाती है।

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के सलाहकार डॉ.बी.आर. दास ने कहा, "पिछले कुछ दशकों में भारत में दिल की बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं। स्टैंडर्ड लिपिड प्रोफाइल में सीरम, प्लाज्मा टोटल कॉलेस्ट्रॉल, हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन- एसोसिएटेड कॉलेस्ट्रॉल, लो- डेंसिटी लिपोप्रोटीन एसोसिएटेड कॉलेस्ट्रॉल और टोटल ट्राइग्लीसराइड की जांच की जाती है। इस तरह की जांचों से दिल की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।"

उन्होंने कहा कि लिपोप्रोटीन (ए) में कॉलेस्ट्रॉल भी शामिल है और यह कोरोनरी आर्टरीज में वसा युक्त प्लॉक जमने का संकेत देता है। ऐसे में जरूरी है कि इस आधुनिक जांच को लिपिड प्रोफाइल में शामिल किया जाए, खासतौर पर उन लोगों में, जिनका लिपिड स्तर सामान्य है, फिर भी उनमें दिल की बीमारियों की आशंका है।

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