हेल्थ डेस्क: डायग्नोस्टिक चेन एसआरएल डायग्नोस्टिक्स द्वारा किए गए लिपिड टेस्ट के परिणामों पर ताजा विश्लेषणों से पता चला है कि 41 प्रतिशत से अधिक महिलाओं का लिपिड प्रोफाइल असामान्य है, जिससे यह खतरनाक तथ्य सामने आया है कि भारत में महिलाएं भी दिल के रोगों की शिकार होती हैं।
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के अध्यक्ष (टेक्नोलॉजी एंड मेंटर-क्लीनिकल पैथोलॉजी) डॉ. अविनाश फडके ने कहा, "भारत में हृदय रोगों की समस्या पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। ज्यादातर महिलाएं स्तन कैंसर को लेकर चिंतित रहती हैं, लेकिन बड़ी तादाद में महिलाओं की मौत कैंसर की तुलना में हार्ट अटैक से होती है। भारत में हृदय रोग महिलाओं का नंबर वन दुश्मन है। हम सभी को समाज में इस तथ्य के बारे में मिलकर जागरूकता फैलानी चाहिए।"
एसआरएल ने पूरे देश से प्राप्त हुए सैम्पल को चार जोन- पूर्व, पश्चिम, उत्तर, और दक्षिण में विभाजित किया। रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि भारत में दो जोन (उत्तर-33.11 प्रतिशत और पूर्व - 35.67 प्रतिशत) में ट्राइग्लिसराइड का असामान्य स्तर पाया गया है जबकि लो एचडीएल और हाई टोटल कॉलेस्टेरॉल लेवल के मामले में दक्षिण (34.15 प्रतिशत) और पश्चिम क्षेत्र (31.90 प्रतिशत) में ज्यादा दर्ज किए गए हैं।
सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि 46-60 वर्ष के उम्र-वर्ग की महिलाओं में हृदय रोग यानी सीवीडी के लिए बेहद नाजुक अवधि समझा जाता है और यही उम्र वर्ग लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में गड़बड़ी (48 प्रतिशत) के उच्च स्तर का शिकार होता है। कुल मिलाकर अधिक ट्राइग्लिसराइड महिलाओं में असमान (32 प्रतिशत) पाए गए।
दो क्षेत्र (उत्तर- 33.11 प्रतिशत और पूर्व - 35.67 प्रतिशत) में अन्य दो क्षेत्र की तुलना में ट्राइग्लिसराइड का ज्यादा असामान्य स्तर पाया गया।
असामान्य एचडीएल के ज्यादा मामले साउथ जोन की महिलाओं में देखे गए, जबकि वेस्टर्न जोन की महिलाओं में टोटल कॉलेस्टेरॉल लेवल (31.90 प्रतिशत) में असामान्यता का अधिक स्तर पाया गया।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल होने वाले 1 करोड़ मौतों में से लगभग 20 लाख मौतें सकुर्लेटरी सिस्टम की वजह से होती हैं और इनमें से 40 प्रतिशत महिलाएं शामिल होती हैं। अधिक सैचुरेटेड फैट, चीनी और नमक की मात्रा, सब्जियों और साबुत अनाज के कम सेवन से मोटापे का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही ज्यादा समय तक बैठे रहने, तनाव का स्तर बढ़ने और धूम्रपान का भारत में महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य में गड़बड़ी के कारकों में अहम योगदान है।
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