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डेयरी का दूध पीने से आपके शरीर में हो सकती हैं इस तरह की परेशानियां

घर में बड़े-बुजुर्ग अक्सर यह कहते हैं कि दूध पीयो, दूध पीने के कई फायदे होते हैं, इससे हड्डी मजबूत होता है। लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि आप किस तरह का दूध पीते हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: June 25, 2018 16:33 IST
milk- India TV Hindi
Image Source : PTI milk

हेल्थ डेस्क: घर में बड़े-बुजुर्ग अक्सर यह कहते हैं कि दूध पीयो, दूध पीने के कई फायदे होते हैं, इससे हड्डी मजबूत होता है। लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि आप किस तरह का दूध पीते हैं। अगर आप डॉयरेक्ट भैंस या गाय की दूध पीते हैं तो अच्छी बात है लेकिन डेयरी का दूध पीकर आपको लग रहा है कि आपके हड्डी मजबूत हो जाएंगे या इसके फायदे आपके शरीर पर होगा तो यह गलतफहमी दूर कर दें क्योंकि डेयरी प्रोडक्ट्स हो या दूध इसके साइड इफेक्ट्स ही आपके शरीर पर होने वाला है।

खानपान के जानकार कहते हैं कि लोग अक्सर वसा से बचने और कम कीमत में मिलने के चलते स्किम्ड अर्थात क्रीम निकले टोंड या फिर डबल टोंड दूध का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। ऐसे ही कुछ और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद हैं, जिनका सेवन सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

लखनऊ के ‘संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस’ में किए गए एक शोध के दौरान अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि चार में से तीन लोग डेयरी उत्पादों को लेकर असहज थे। इसमें 82 प्रतिशत दक्षिण भारतीय दूध को अच्छी तरह पचाने में अक्षम थे, वहीं 66 प्रतिशत उत्तर भारतीय इस समस्या से पीड़ित थे। इसके अलावा डेयरी उत्पादों के सेवन से उनमें सिर दर्द, खांसी, तनाव और आयरन के स्तर में कमी देखी गई। हालांकि, सोनीपत के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी इंटरप्रेन्योर एंड मैनेजमेंट’ में सीनियर फेलो डॉ. भारत भूषण इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। वह कहते हैं, ''जिन लोगों को दूध न पचा पाने की समस्या है, तो उन्हें लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या है।

दरअसल, दूध को पचाने की हमारी एक सीमा होती है। एक बच्चा जब तक खाद्य पदार्थों के संपर्क में नहीं आता है, तब तक वह मां के दूध या बाहरी दूध पर निर्भर रहता है, लेकिन जैसे ही बच्चा खाद्य पदार्थों के संपर्क में आता है, उसे ‘लैक्टोज इंटॉलरेंस’ की समस्या होने लगती है। यही कारण है कि अमूल ने ‘लैक्टोज फ्री’ दूध बेचना शुरू किया था।' इसके अलावा न्यूजीलैंड की ए2 मिल्क कंपनी का दावा है कि ए2 दूध को आसानी से पचाया जा सकता है।

भारत में भी डेयरी उत्पादक इसी तरह के दावे कर रहे हैं। वैसे सालों से दूध को कैल्शियम का अच्छा स्रोत माना जाता रहा है, लेकिन हड्डियों के मजबूत होने और टूटने के खतरे से जुड़े शोध के कई विरोधाभासी नतीजे सामने आए हैं।

स्वीडन में वैज्ञानिकों की एक टीम ने 61,400 महिलाओं और 45,300 पुरुषों की आहार संबंधी आदतों का परीक्षण किया था और उसके बाद कुछ सालों तक उनके स्वास्थ्य की निगरानी की। पाया गया कि जो महिलाएं एक दिन में तीन गिलास से ज्यादा दूध पीती थीं, उनकी हड्डियों के टूटने की संभावना अधिक थी। 

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