ऐसे किया गया ये शोध
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने दिल संबंधी बीमारी (कोरोनरी आर्टरी डिजीज) और बालों में सफेदी की मात्रा के आधार पर प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा। सफेद बालों की मात्रा के आधार पर उन्होंने बालों के सफेद होने के विभिन्न चरणों के लिए अंक तय किए। इसके अनुसार पूरी तरह काले बालों के लिए 1, सफेद से अधिक काले बालों के लिए 2, काले और सफेद बालों की बराबर मात्रा के लिए 3, काले से अधिक सफेद बालों के लिए 4 और पूरी तरह सफेद बालों के लिए 5 अंक तय किए।
सभी प्रतिभागी का अंक दो स्वतंत्र पर्यवेक्षकों द्वारा निश्चित किया गया। उनके तनाव, मधुमेह, रक्तचाप, धूम्रपान और दिल की बीमारी का आनुवांशिक इतिहास जैसे दिल की बीमारी के पारंपरिक कारकों के आंकड़े भी एकत्र किए गए। तमाम आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि जिन प्रतिभागियों के बाल ज्यादा सफेद हो रहे थे उनमें दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा था। उम्र और दिल की बीमारी से जुड़े कारकों का इसमें अलग से कोई प्रभाव नहीं था।
शोधकर्ता ईरीनी सैमुअल ने बताया, हमारे शोध से पता चला कि वास्तविक उम्र कम होने के बावजूद बालों में सफेदी व्यक्ति की बढ़ी हुई जैविक उम्र को बयान करती है। यह दिल की बीमारी की चेतावनी का संकेत हो सकता है।
यह अध्ययन स्पेन के मालागा में 6 से 8 अप्रैल तक यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी (ईएपीसी) की सालाना कांग्रेस ‘यूरोप्रिवेंट 2017’ में प्रस्तुत किया गया।