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अब किडनी की बीमारी का इलाज जीन थेरेपी से संभव, जानिए कैसे

शोधकर्ताओं ने पाया है कि एडिनो-से जुड़ा वायरस (एएवी) गुर्दे में क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को आनुवांशिक सामग्री पहुंचा सकता है। एएवी वायरस से जुड़ा हुआ है जो सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार होता है।

Reported by: IANS
Published : July 07, 2018 10:44 IST
Gene therphy
Gene therphy

हेल्थ डेस्क:  जीन थेरेपी की सहायता से गुर्दे की कोशिकाओं के नुकसान को ठीक किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने संभावना जाहिर की है कि इससे गुर्दे के पुराने रोग का इलाज हो सकता है। पुराने गुर्दे के रोग की पहचान इसके धीरे-धीरे गुर्दे के काम करने की क्षमता घटने से की जाती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि एडिनो-से जुड़ा वायरस (एएवी) गुर्दे में क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को आनुवांशिक सामग्री पहुंचा सकता है। एएवी वायरस से जुड़ा हुआ है जो सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार होता है।

शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप व दूसरी स्थितियां गुर्दे की पुरानी बीमारी की वजह से पैदा होती है। ऐसा क्षतिग्रस्त गुर्दे के शरीर के अतिरिक्त तरल व अपशिष्ट को प्रभावी तौर पर छान नहीं पाने के कारण होता है।

अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के गुर्दा रोग विभाग के बेंजामिन डी. हम्फ्रेस ने कहा, "गुर्दे की पुरानी बीमारी एक बड़ी व तेजी से बढ़ती समस्या है। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से बीते सालों में हमने ज्यादा प्रभावी इस स्थिति के लिए नहीं विकसित की हैं और यह वास्तविकता हमें जीन थेरेपी की खोजने को प्रेरित कर रही है।"

इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी' में किया गया है। इस दल ने छह एएवी वायरसों का परीक्षण किया। इसमें प्राकृतिक व सिंथेटिक दोनों वायरस शामिल हैं। इनके इस्तेमाल चूहों व स्टेम सेल से विकसित मानव गुर्दे की कोशिकाओं पर किया गया।

 

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