'सेफ साउंड इनिशिएटिव' आईएमए की एक राष्ट्रीय परियोजना है, जो सभी राज्यों में शोर प्रदूषण से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए काम कर रही है।
डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "शोर के कारण होने वाली श्रवण संबंधी समस्या वैश्विक स्तर पर स्थाई बहरेपन के लिए मुख्य कारण के तौर पर उभरी है। यह हृदय और मस्तिष्क के साथ-साथ अंत:स्रावी और प्रतिरक्षा प्रणाली सहित शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करती है। अत्यधिक शोर के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की समस्याएं, स्ट्रोक और यहां तक कि कैंसर सहित जीवनशैली से जुड़ी सभी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।"
आवाज फाउंडेशन, मुंबई इस अभियान में आईएमए की भागीदार है। आईएमए (सेफ साउंड इनिशिएटिव) के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. सी. जान पणिक्कर बताते हैं, "शोर के कारण होने वाली श्रवण संबंधी क्षति जीवनशैली से जुड़ी हुई बीमारी है और यह स्थाई बहरेपन का मुख्य कारण है।
कार का हार्न बजाना, मोबाइल फोनों का लगातार उपयोग करना तथा घर की आवाज (अधिक आवाज पर पंखे चलाना, टेलीविजन देखना, अधिक वाल्यूम पर रेडिया सुनना तथा शोर पैदा करने वाले घरेलू उपकरणों का इस्तेमाल करना) आदि सभी श्रवण संबंधी समस्या के लिए जिम्मेदार हैं।"
आईएमए ने ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए कई सुझाव दिए हैं। संस्था ने लोगों से कहा है कि वे शोर से बचाने वाले उपकरणों का उपयोग करें। जब 80 डेसीबल से अधिक की ध्वनि के संपर्क में आएं तो इयर प्लग्स और मफलर का उपयोग करें। मोबाइल फोन का लगातार प्रयाग नहीं करें।
जहां तक संभव हो स्पीकर फोन का उपयोग करें। ध्वनिरहित पटाखों का उपयोग करें, इयरफोन/हेडफोन का इस्तेमाल करने के दौरान ब्रेक लें, कार का हार्न बजाने से परहेज करें तथा अधिक शोर पैदा करने वाले घरेलू उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करें।
जर्मनी में किए गए एक अध्ययन में दिल्ली को गुआंगजौ (चीन), पेरिस और काहिरा के बाद दुनिया में चौथे सबसे अधिक शोर वाले शहर के रूप में शुमार किया गया है।