हेल्थ डेस्क: डिमेंशिया के खतरे को उल्लेखनीय रूप से कम करने वाले मस्तिष्क के पहले व्यायाम की पहचान अनुसंधानकर्ताओं ने कर ली है। अमेरिका की इंडियाना यूनिवर्सिटी के फ्रेडरिक डब्ल्यू उनवेरजाग्ट ने बताया कि 'स्पीड ऑफ प्रोसेसिंग' कहे जाने वाले इस संज्ञानात्मक अभ्यास में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों को 10 साल तक इसका लाभ मिला।
उन्होंने बताया कि इस अभ्यास से गुजरे और बाद में डिमेंशिया से प्रभावित हुए लोगों की संख्या इस अभ्यास से नहीं गुजरे लोगों की संख्या के मुकाबले बहुत कम थी।
अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया
ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड क्लिनिकल इंटरवेंशन्स नाम वाली पत्रिका में छपे इस अध्ययन में बताया गया है कि इस प्रशिक्षण में 65 साल की उम्र वाले 2,802 स्वस्थ बुजुर्गों ने हिस्सा लिया, जिन्हें चार समूहों में विभाजित किया गया था। इनमें से 1,220 प्रतिभागियों ने 10 साल के आकलन को पूरा किया।
विटामिन डी की कमी से होता है दोगुना खतरा
बुजुर्ग लोगों में विटामिन डी के निचले स्तर से डिमेंशिया और अल्जाइमर के विकसित होने का खतरा दोगुना हो सकता है। यह बात एक अध्ययन में पाई गई है। अध्ययन में शामिल जिन लोगों में विटामिन डी की कमी थी, उनमें डिमेंशिया और अल्जाइमर की बीमारी पनपने की संभावना दोगुने से भी ज्यादा थी। शोधकर्ताओं ने उन बुजुर्ग अमेरिकी नागरिकों का अध्ययन किया था।
रिसर्च में पाया गया जिन व्यस्कों में विटामिन डी की कमी थोड़ी सी ही थी, उनमें किसी भी तरह का डिमेंशिया पैदा होने का खतरा 53 प्रतिशत था। वहीं जिनमें विटामिन डी कमी का स्तर गंभीर था, उनमें यह खतरा 125 प्रतिशत था। ऐसे ही नतीजे अल्जाइमर बीमारी के बारे में भी पाए गए। कम कमी वाले समूह में इस बीमारी का खतरा 69 प्रतिशत था जबकि गंभीर रूप से विटामिन डी की कमी वाले लोगों में इसका प्रतिशत 122 प्रतिशत था। इस अध्ययन में 65 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के उन 1,658 व्यस्कों का अध्ययन किया गया था।
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