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सावधान! ज्यादा मोबाइल यूज करना कर सकता है आपको मेंटल डिस्टर्ब

स्मार्टफोन और दूसरे उपकरणों के अधिक इस्तेमाल से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े खतरों का जोखिम बढ़ जाता है। इससे ध्यान, व्यवहार और आत्म नियमन जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

India TV Lifestyle Desk
Published on: May 04, 2017 13:24 IST
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हेल्थ डेस्क: आज के समय में मोबाइल हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। जिसके बिना तो मानों कोई जिंदगी हीं नहीं है। हम फोन पर इतन निर्भर है, कि उसके बिना कोई भी काम हीं नहीं होता है। लेकिन आपये बात भूल जाते है कि ये हमारी सेहत के लिए कितना खतरनाक है। एक शोध में ये बात सामने आई कि ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करने से आपके मानसिक स्वास्थ्य में सबसे अधिक फर्क पड़ता है।

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 स्मार्टफोन और दूसरे उपकरणों के अधिक इस्तेमाल से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े खतरों का जोखिम बढ़ जाता है। इससे ध्यान, व्यवहार और आत्म नियमन जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में डरहम के ड्यूक विश्वविद्यालय के इस शोध की प्रमुख लेखक मेडेलीन जॉर्ज ने कहा, "किशोरों में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कम करने वाले दिनों की अपेक्षा ज्यादा इस्तेमाल करने के दिनों में व्यवहार की समस्याएं और एडएचडी (ध्यान में कमी/अतिक्रियाशीलता विकार) के लक्षण बढ़ जाते हैं।"

यह शोध 'चाइल्ड डेवलपमेंट' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षणों को देखा गया है। इसमें उनके हर दिन सोशल मीडिया, इंटरनेट के इस्तेमाल के समय को शामिल किया गया है।

इस शोध में 151 किशोरों के हर रोज के डिजिटल प्रौद्योगिकी में स्मार्टफोन के उपयोग का सर्वेक्षण किया गया है।

उनका सर्वेक्षण दिन में तीन बार किया गया। यह सिलसिला महीने भर तक चला। इसके 18 महीने बाद उनके मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों का मूल्यांकन किया गया।

इसमें 11 साल से 15 साल के बीच के किशोरों ने भाग लिया। किशोरों ने औसतन करीब 2.3 घंटे एक दिन डिजिटल प्रौद्योगिकी पर खर्च किए।

शोधकर्ताओं ने पाया कि उन दिनों में जब किशोरों ने अपने उपकरणों का इस्तेमाल सामान्य से ज्यादा किया और उन्होंने अपने साथियों से औसतन ज्यादा इस्तेमाल किया तो उनमें व्यवहार संबंधी समस्याएं जैसे झूठ बोलना, लड़ाई और दूसरी व्यवहारिक समस्याएं दिखीं।

शोध में यह भी पाया गया कि वे किशोर, जिन्होंने ऑनलाइन समय बिताया, उनमें 18 महीने बाद व्यवहारिक समस्याएं और आत्मनियमन की दिक्कतें देखी गईं।

हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कुछ सकारात्मक नतीजों से भी जुड़ा है। जिन दिनों में किशोरों ने प्रौद्योगिकी का ज्यादा इस्तेमाल किया, उस दौरान उनमें अवसाद और चिंता के लक्षण कम दिखाई दिए।

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