डॉ. आशा अग्रवाल ने कहा कि समय से रोग की पहचान और बहरेपन का इलाज जरूरी है। अपने जीवन के प्रारंभिक चरण में मिली उचित सहायता से बच्चा अपनी कमी से उबरकर तेजी से बोलना और बातचीत करना सीख सकता है। इससे उसे समाज की मुख्य धारा का अंग बनने का भी मौका मिलता है।