हेल्थ डेस्क: चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी के महीनों में दिल के दौरे पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं, खास तौर पर सुबह के समय क्योंकि उस वक्त रक्त वाहिकाएं सिम्पेथेटिक ओवर एक्टिविटी के कारण संकुचित होती हैं और अगर वातावरण में धुआं हो तो जोखिम दोगुना हो सकता है। चिकित्सकों के मुताबिक, सर्दियों में हवा की धीमी गति और आद्र्रता के स्तर में वृद्धि हो जाती है। इस कारण से धुएं की स्थिति बिगड़ने लगती है, क्योंकि प्रदूषक तत्व हवा में नीचे बने रहते हैं और इधर-उधर फैल नहीं पाते।
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "सर्दियों के शुरुआती दिनों के दौरान अधिक धुंध और स्मॉग आम है। सर्दियों में बारिश के दौरान उच्च आद्र्रता होने पर तापमान में गिरावट आती है। जबकि, शुष्क या जाती हुई सर्दियों में फॉग या स्मॉग गायब कम हो जाता है और ठंडी हवाएं भी बंद हो जाती हैं।"
एक अध्ययन के मुताबिक, वायु की खराब गुणवत्ता या धुआं सबसे खराब प्रकार के दिल के दौरे का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिससे समय से पहले मौत हो सकती है। दिल की समस्या वाले लोगों के लिए इन दिनों अधिक जोखिम रहता है।
स्मॉग के कारण हो सकती है ये समस्याएं
डॉ. अग्रवाल ने बताया, "स्मॉग से होने वाले नुकसानों में आंखों में लालिमा, खांसी या गले में जलन, सांस लेने में कठिनाई प्रमुख है। स्मॉग से तीव्र अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं, साथ ही यह दिल के दौरे, स्ट्रोक, एरिदमिया को भी बढ़ा सकता है। बच्चे, वृद्ध, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारियों वाले रोगी विशेष रूप से स्मॉग के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं और इसलिए खुद को बचाने के लिए इन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।"
अस्थमा वाले ऐसे रखें खुद का ख्याल
डॉ. अग्रवाल ने सुझाव देते हुए कहा, "अस्थमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस वाले मरीजों को स्मॉग वाले दिनों में दवा की खुराक में वृद्धि कर लेनी चाहिए, स्मॉग की स्थिति में जॉगिंग, रनिंग जैसी गतिविधियों से बचें, स्मॉग के दौरान पैदल चलने से बचें, जितना संभव हो बाहर जाने से बचें, स्मॉग के घंटों के दौरान धीरे-धीरे ड्राइव करें, दिल के रोगियों को स्मॉग के दौरान सुबह के टहलना बंद कर देना चाहिए, फ्लू और निमोनिया के टीके लगवा लें।"
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