लंदन: आमतौर पर कहा जाता है कि चाय-कॉफी सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं, लेकिन एक नए शोध से सामने आया है कि तीन से चार कप कॉफी पीने वालों में टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।
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डेनमार्क के वैज्ञानिकों ने ऐसे दो यौगिकों (कम्पाउंड्स) की पहचान की है जिनका सेवन शरीर के लिए लाभदायक होता है। इसके साथ इन यौगिकों से ऐसी कई दवाईयां भी बनाई जा सकती हैं जो बीमारी को रोकने और उसकी रोकथाम के लिए मददगार हों।
मधुमेह की रोकथाम में कॉफी के कौन से बायोएक्टिव घटक ज्यादा फायदेमंद है, इसकी जांच करने के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों की कोशिकाओं पर कॉफी के अलग-अलग पदार्थो का परीक्षण किया।
शोधार्थियों ने प्रयोगशाला में अलग-अलग कॉफी के यौगिकों से चूहों की कोशिकाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्लूकोज के साथ कैफेस्टॉल और कैफिक अम्ल के मिलने पर इंसुलिन का स्राव बढ़ जाता है। केवल यही नहीं कैफेस्टॉल से मांसपेशियों की कोशिकाओं में ग्लूकोज की खपत में भी वृद्धि पाई गई।
डेनमार्क की आरहूस यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधार्थी के अनुसार, "कैफेस्टॉल के दोहरे लाभ टाइप-2 मधुमेह की रोकथाम के लिए कारगर हैं।"
फिल्टर्ड (ड्रिप) कॉफी में हालांकि कैफेस्टॉल की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए ऐसी संभावना है कि इसके अन्य यौगिक भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।
टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित मरीजों में इंसुलिन का असर होना बंद हो जाता है।
इस समस्या से निपटने के लिए अग्न्याशय (पैनक्रियास) अधिक इंसुनिल का निर्माण करने लगता है, लेकिन वह काफी नहीं होता है।
ऐसी स्थिति में रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जिससे 'अंधापन' और 'तंत्रिका क्षति' जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।
अनुवाशिंक और जीवनशैली के कई कारकों की वजह से भी टाइप-2 मधुमेह पैदा होता है, लेकिन देखा गया है कि कॉफी के सेवन से इसे रोकने में मदद मिलती है।
यह अध्ययन एसीएस जर्नल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट्स में प्रकाशित हुआ है।