आजकल डिप्रेशन जैसे मसले पर काफी बातें हो रही हैं। एक दशक पहले तक डिप्रेशन को बीमारी नहीं माना जाता था। थकावट, दिमाग का फितूर और पागलपन कहकर डिप्रेशन को नजरंदाज कर दिया जाता था। डिप्रेशन ऐसी न दिखने वाली बीमारी है जो अन्य कई शारीरिक बीमारियों को जन्म देती है और सामाजिक तौर पर भी काफी प्रभाव डालती है। डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है, एक सामान्य से दिखने वाला खुशहाल शख्स भी इसकी चपेट में आ सकता है। इसलिए वक्त रहते इसके संकेत और लक्षण पहचान लेने चाहिए ताकि ये मर्ज लाइलाइज न हो जाए।
आइए जानते हैं उन संकेतों के बारे में जो बताते हैं कि आप डिप्रेशन में जा रहे हैं -
बिना वजह उदास महसूस करना
अगर ऐसा हो रहा है तो गौर कीजिए। पहले कोशिश कीजिए कि उदासी का सबब सामने आ जाए, अगर नहीं आ रहा तो दूसरे संकेतों पर गौर कीजिए और मनोचिकित्सक को दिखाइए।
हर समय थकान महसूस करना
बिस्तर से उठने का मन न करे, हर समय थकान महसूस होती है। किसी से मिलने जुलने का मन नहीं करता। या तोनींद बिलकुल नहीं आती और कभी बहुत नींद आती है।
बेवजह गुस्सा आना
बात बात पर गुस्सा आना, चिढ़ना, खीजना, अच्छे मुद्दों पर भी तर्क वितर्क करना। किसी भी बात पर लड़ जाना, रोना चीखना चिल्लाना और बाद में घंटों अकेले रहने का मन करना।
शरीर में जगह जगह दर्द
कभी पीठ में और कभी सिर में दर्द होना। शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो सकता है। ये दर्द मानसिक तनाव की वजह से होता है और जल्द ही ठीक भी हो जाता है। लेकिन अगर लगातार पीठ में दर्द हो रहा है तो ये डिप्रेशन हो सकता है।
सुसाइड के बारे में सोचना
छोटी छोटी बातों पर जिंदगी खत्म करने के ख्याल दिल में आना। कभी खुद को चोट पहुंचाना। ऐसा लगना जैसे आपके जीने की कोई वजह ही नहीं है।
फोकस न कर पाना
किसी भी चीज और बात पर फोकस न कर पाना। ध्यान न लगा पाना। काम में ध्यान न लगना। बार बार गड़बड़ी होना, 100 तक गिनती भी गिनने में दिक्कत होती है। संतुलन नहीं कर पाना।
भूख न लगना
भूख मर जाना। पसंदीदा खाना भी सामने आने पर इच्छा न होना। ऐसे लोगों का वजन भी गिरने लगता है औऱ वो चिड़चिड़ाने लगते हैं।
कुछ बुरा होने के ख्याल आना
एकाएक सबसे डर लगना। रौशनी में आने से डरना। ऐसा लगना जैसे सब खत्म होने वाला है। एकाएक पसीना आने लगता है और ऐसा लगता है जैसे कुछ बुरा होने वाला है। घर से बाहर निकलने से कतराना। लोगों से मिलने से हिचकना।