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डिमेंशिया के इलाज में मददगार है कम तीव्रता की अल्ट्रासाउंड तरंगें, जानिए कैसे

कम तीव्रता वाले स्पंदित अल्ट्रासाउंड (एलआईपीयूएस) का चूहों के दिमाग पर इस्तेमाल करने से बिना दुष्प्रभाव के रक्त वाहिका निर्माण व तंत्रिका कोशिकाओं को पुनर्निर्माण में सुधार दिखाई दिया।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: July 25, 2018 10:36 IST
Dementia- India TV Hindi
Image Source : IANS Dementia

नई दिल्ली: कम तीव्रता की अल्ट्रासाउंड तरंगों से डिमेंशिया या अल्जाइमर के मरीजों के संज्ञानात्मक अक्षमता में सुधार हो सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कम तीव्रता वाले स्पंदित अल्ट्रासाउंड (एलआईपीयूएस) का चूहों के दिमाग पर इस्तेमाल करने से बिना दुष्प्रभाव के रक्त वाहिका निर्माण व तंत्रिका कोशिकाओं को पुनर्निर्माण में सुधार दिखाई दिया।

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस तरह का उपचार मानव के लिए लाभदायी हो सकती है।

जापान के तोहोकू विश्वविद्यालय के हिरोआकी शिमोकावा ने कहा, "एलआईपीयूएस थेरेपी बिना घाव वाली फिजियोथेरेपी है। इसका इस्तेमाल ज्यादा जोखिम वाले बुजुर्ग मरीजों में बिना सर्जरी या एनेस्थेसिया के किया जा सकता है और इसका बार-बार इस्तेमाल हो सकता है।"

शोधकर्ताओं के दल ने वेस्कुलर डिमेंशिया वाले चूहे पर एक के बाद एक दिनों दिनों तक इलाज किया। इससे पहले चूहे की एक सर्जिकल प्रक्रिया की गई थी, जिसमें दिमाग के रक्त की आपूर्ति को सीमित किया गया था।

मानव में अल्जाइमर रोग की स्थितियों के साथ चूहे को 11 एलआईपीयूएस उपचार तीन महीने की अवधि के लिए दिया।

इस शोध के परिणामों का प्रकाशन 'जर्नल ब्रेन स्टीमुलेशन' में किया गया है, जिसमें चूहों में संज्ञानात्मक अक्षमता में विशेष सुधार हुआ।

जानिए क्या है डिमेंशिया

अक्सर लोग डिमेंशिया को सिर्फ एक भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं, और सोचते हैं कि यह मुख्यतर याददाश्त की समस्या है। लेकिन डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की हालत समय के साथ बिगड़ती जाती है। जिन्हें सहायता की जरूरत भी बढ़ती जाती है।  ये तेजी से फैलने वाला रोग है। इसमें व्यक्ति को भूलने की बीमारी हो जाती है।  अगर इसे सही समय में पहचना लिया जाएं तो इस बीमारी से आसानी से बच सकते है। जानिए कैसे बच सकते है इस बीमारी से..बुजुर्गो में दिखें ये शुरुआती संकेत, तो समझो उनको होने वाला है अल्जाइमर रोग

क्या आपको पता है कि यह बीमारी 40 की उम्र में भी हो सकती है। ऐसे में आप ऐसे करें खुद का बचाव

 

 

(इनपुट आईएएनएस)

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