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दिल्ली एयर पॉल्यूशन: इस गंदी हवा में भी फेफड़ों को रखना है मजबूत तो करें ये एक्सरसाइज

दिल्ली एयर पोल्यूशन दिवाली के बाद हर साल की तरह इस बार भी तबाही मचाती नजर आ रही है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: November 13, 2018 9:06 IST
delhi pollution- India TV Hindi
delhi pollution

हेल्थ डेस्क: दिल्ली एयर पोल्यूशन दिवाली के बाद हर साल की तरह इस बार भी तबाही मचाती नजर आ रही है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक रोजाना 98/ प्रतिशत बच्चे जो 15 साल के उम्र से कम है उनकी हेल्थ के लिए काफी खतरनाक है यह एयर पोल्यूशन। साथ ही इस रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि इस एयर पोल्यूशन में सांस लेना और रोजाना 20 सिगरेट पीने के बराबर है।

इस रिपोर्ट में एयर पोल्यूशन से जुड़ी कई बातों को उजागर किया गया। साथ ही कई सवाल उठाए गए कि कैसे इस एयर पोल्यूशन के खतरनाक प्रभाव से शरीर को बचाया जाए। रिपोर्ट के अंतर्गत कई सुझाव भी दिए गए ताकि इस एयर पोल्यूशन में भी आप अपनी शरीर को हेल्दी रख सकते हैं। आज हम बात करेंगे इस पोल्यूशन में भी आप अपने फेफड़ो की सुरक्षित कैसे रख सकते हैं साथ ही फेफड़ो को हेल्दी रखने के लिए कई एक्सरसाइज बताए गए हैं।

कपालभाती प्राणायाम

दिनभर तमाम काम करते हुए आप थक जाते हैं। काम के कारण आपका खान-पान भी अनियमित रहता है और आपके पास एक्सरसाइज का भी टाइम नहीं रहता है। ये आदत आपको धीरे-धीरे बीमार बनाती है। अगर आपके पास समय कम है, तो योग और प्रणायाम स्वस्थ रहने के लिए सबसे अच्छा वकल्प है। कपालभाती आसन एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है। इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और निरोग रहें।
 

कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मूल आधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुं‍डलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि हमारे शरीर के सारे नकारात्‍मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।
 

अनुलोम–विलोम

अनुलोम–विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है। अनुलोम-विलोम को रोज करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें दूर होती हैं।

विधि
दरी व कंबल स्वच्छ जगह पर बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें। अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें। इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। 10 मिनट से अधिक समय तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें।

शेर की तरह जोड़ से सांस लेना
इसके अंतर्गत यह होता है कि आप मुंह खोलकर शेर की तरह जोड़ से दहाड़ कर सांस लेते हैं। इससे आपकी सांस से जुड़ी जो भी प्रॉब्लम होती है वह खत्म हो जाती है।

पादहस्‍तासन

योग करने से दिमाग से नकारात्‍मक विचार जाते हैं और सकारात्‍मकता आती है। योग का फायदा तभी मिलता है जब आप इसे सही तरीके से करते हैं। योग के कई प्रकान हैं, इसमें से एक है पादहस्‍तासन। यह योग का ऐसा आसन है जो पाचन क्रिया को सुचारु करता है साथ ही यह कमर के लिए भी बहुत प्रभावी है। पेट की अतिरिक्‍त चर्बी को कम कर वजन कम करने में भी यह बहुत प्रभावी है। इसके नियमित अभ्‍यास से रक्‍त का संचार ठीक रहता है और शरीर एनर्जेटिक रहता है। इसे करने के लिए धीरे-धीरे अपने हाथों को ऊपर की तरफ ले जायें, सांस निकालते हुए कमर के आगे की तरफ झुकें। सिर से घुटनों को छूने का प्रयास करें, कुछ देर इस स्थिति में रहें। फिर सांस लेते हुए सामान्‍य स्थिति में आयें। इसे सही तरीके से कैसे करें, इसके बारे में जानने के लिए इस विडियो को देखें।

 

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