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बचना है किडनी की इस बीमारी से, तो लें 6 घंटे से ज्यादा की नींद

रात में छह घंटे से कम सोने वाले लोगों को गंभीर किडनी रोग (सीकेडी) होने का अंदेशा बढ़ जाता है। नींद में बार-बार बाधा पड़ने से किडनी फेल होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। जानिए क्या है लक्षण और बचने के उपाय...

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published : September 23, 2017 12:27 IST
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हेल्थ डेस्क: आज के समय में भागदौड़ भरी लाइफ में हमारे पास इतना समय नहीं होता है कि हम खुद का ध्यान रख पाएं। इसके साथ ही व्यस्त लाइफ में हम ठीक ढंग से पूरी नींद बी नहीं ले पाते है। जिसके कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाल में ही एक शोध हुआ जिसमें ये बात सामने आई कि अगर आपने पूरी नींद न ली तो आपको किडनी संबंधी समस्या भी हो सकती है।

इस रिसर्च के अनुसार, रात में छह घंटे से कम सोने वाले लोगों को गंभीर किडनी रोग (सीकेडी) होने का अंदेशा बढ़ जाता है। नींद में बार-बार बाधा पड़ने से किडनी फेल होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। सीकेडी वाले लोगों को अक्सर उच्च रक्तचाप, मोटापे और मधुमेह के साथ होने वाली अन्य शिकायतें भी रहती हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, ऐसे व्यक्तियों में किडनी की कार्यप्रणाली को जांचना महत्वपूर्ण है, जिन्हें उच्च खतरे वाली एक या अधिक परेशानी है। जानिए कैसे करें इससे बचाव।

जानिए क्या है सीकेडी रोग

सीकेडी का अर्थ है कि समय के साथ किडनी की कार्य प्रणाली में और भी नुकसान होते रहना, जिसमें सबसे अंतिम स्थिति है किडनी फेल हो जाना। ऐसे मरीजों को फिर डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण से गुजरना पड़ सकता है। इसके लक्षण शुरू में प्रकट नहीं होते और जब दिखते हैं, तब तक बहुत नुकसान हो चुका होता है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, "गुर्दे खून की फिल्टरिंग में मदद करते हैं। खून से कचरा और द्रव सामग्री को बाहर निकालते हैं। वह हमारे शरीर में बनने वाले अधिकांश बेकार पदार्थो को निकाल बाहर करते हैं। लेकिन जब गुर्दे का रक्त प्रवाह प्रभावित होता है, तो वे ठीक से काम नहीं कर पाते। ऐसा किसी क्षति या बीमारी के कारण हो सकता है।"

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "सीकेडी जब बढ़ जाए, तब तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट्स और कचरा शरीर से बाहर नहीं जा पाता और अंदर ही जमा होने लगता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गुर्दे की असामान्य बनावट और बीमारी की पारिवारिक हिस्ट्री वाले मरीजों को अधिक जोखिम है। इसके अतिरिक्त, जो धूम्रपान करते हैं और मोटापे से ग्रस्त हैं, वे लंबे समय तक सीकेडी के निशाने पर रह सकते हैं।"

अगली स्लाइड में जानें लक्षण और बचने तके उपाय

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