Monday, November 25, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. हेल्थ
  4. चमकी बुखार से बिहार में गई 108 बच्चों की जान, जानें इसके लक्षण, बचाव और इलाज

चमकी बुखार से बिहार में गई 108 बच्चों की जान, जानें इसके लक्षण, बचाव और इलाज

इन दिनों बिहार में 'चमकी बुखार' कहर बरपा रहा है। हर रोज चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की प्रतिशत बढ़ती जा रही है। हिंदी में चमकी बुखार कह लीजिए या फिर अंग्रेजी में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: June 18, 2019 13:06 IST
चमकी बुखार- India TV Hindi
चमकी बुखार

इन दिनों बिहार में 'चमकी बुखार' कहर बरपा रही है। हर रोज चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की प्रतिशत बढ़ती जा रही है। हिंदी में चमकी बुखार कह लीजिए या फिर अंग्रेजी में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम। रोज बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं। राज्य के मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) से पिछले एक हफ्ते में तकरीबन 108 बच्चों की मौत हो चुकी है। यह बीमारी हर साल इसी मौसम में मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। इस बुखार से पीड़ित बच्चों की उम्र 5-15 साल के बीच है। जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ।

डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी का सबसे ज्यादा कहर सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया और वैशाली ज़िले में है. चूंकि इन ज़िलों में अस्पताल की स्थिति अच्छी नहीं है इसीलिए सभी इलाज के लिए मुज़फ्फरपुर की तरफ ही भाग रहे हैं। हालत ये है कि मुज़फ्फरपुर के एसकेएमसीएच यानी श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती होने वाले ज्यादातर बच्चे इन्हीं ज़िलों के हैं।

चमकी बुखार को एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी में मस्तिष्क में सूजन हो जाती है। ये सब वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। जो कि शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम और दिमाग के ऊतकों पर हमला करती है। इस बीमारी में तुरंत देखभाल की जरुरत पड़ती है। इसका सबसे बड़ा कारण वायरल इंफेक्शन होता है। जिससे हमारा शरीर लड़ता है। जो कि दिमाग में सूजन का कारण बन जाता है।

चमकी बुखार के लक्षण

इस बीमारी के सबसे बड़ा लक्षण होता है कि सिरदर्द के साथ बुखार आना। इसके साथ ही फोटोफोबिया हो जाना जो एक समान लक्षण है। मांसपेशियों और ज्वाइट्स में दर्द
कमजोरी होना आदि नजर आते हैं। चमकी बुखार के लक्षण क्या हैं?

लगातार मर रहे बच्चों की संख्या के बीच जब हमने डॉक्टर से पूछा कि चमकी बुखार के लक्षण क्या है? लोग ये कैसे अंतर कर पाएंगे कि उनके बच्चे को चमकी बुखार है आम बुखार नहीं। तब मुज़फ्फरपुर के चाइल्ड स्पेस्लिस्ट डॉक्टर अरुण शाह ने बताया। चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज़ बुखार चढ़ा ही रहता है। बदन में ऐंठन होती है. बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं। कमज़ोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है। यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है। कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा। जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है।

गर्मियों के दौरान ही मौतें क्यों?

डॉक्टरों की मानें तो गर्मी और चमकी बुखार का सीधा कनेक्शन होता है. पुरानें कुछ सालों के पन्नों को पलट कर देखें, तो इससे ये साफ हो जाता है कि दिमागी बुखार से जितने बच्चे मरे हैं, वो सभी मई, जून और जुलाई के महीने में ही मरे हैं। लेकिन और ज्यादा गहराई से देखेंगे तो पता चलेगा कि मरनेवालों में ज्यादातर निम्न आय वर्ग के परिवार के ही बच्चे थे।आसान शब्दों में कहें तो जो बच्चे भरी दोपहरी में नंग-धड़ंग गांव के खेत खलिहान में खेलने निकल जाते हैं। जो पानी कम पीते हैं। तो सूर्य की गर्मी सीधा उनके शरीर को हिट करती है. तो वे दिमागी बुखार के गिरफ्त में पड़ जाते हैं।

बच्चे ही क्यों होते हैं शिकार?

एसकेएमसीएच के डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि इस केस में ज्यादातर बच्चे ही दिमागी बीमारी के शिकार होते हैं। चूंकि बच्चों के शरीर की इम्युनिटी कम होती है, वो शरीर के ऊपर पड़ रही धूप को नहीं झेल पाते हैं। यहां तक कि शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में बच्चों के शरीर में सोडियम की भी कमी हो जाती है। हालांकि कई डॉक्टर इस थ्योरी से इनकार भी करते हैं। 3 साल पहले भी जब मुज़फ्फरपुर में दिमागी बुखार से बच्चे मर रहे थे तब मामले की जांच करने मुंबई के मशहूर डॉक्टर जैकब गए। उन्होंने भी इस थ्योरी पर जांच करने की कोशिश की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए।

कैसी सावधानी बरती जाए?

गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब होता है। घरवाले इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे किसी भी हाल में जूठे और सड़े हुए फल नहीं खाए। बच्चों को गंदगी से बिल्कुल दूर रखें। खास कर गांव-देहात में जो बच्चे सूअर और गाय के पास जाते हैं गर्मियों में दूरी बना कर रखें। खाने से पहले और खाने के बाद हाथ ज़रूर धुलवाएं। बच्चे नहीं मान रहे हैं तो कान पकड़ कर हाथ धुलवाएं। साफ पानी पिएं, बच्चों के नाखून नहीं बढ़ने दें। और गर्मियों के मौसम में धूप में खेलने से मना करें।

बीमारी का इलाज क्या है?

चमकी बुखार से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। हेल्दी फूड के साथ थोड़ी-थोड़ी देर पर मीठा देते रहना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में शुगर की कमी देखी जाती है। इसीलिए इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को थोड़-थोड़ी देर में लिक्विड फूड भी देते रहे ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो। दूसरी तरफ डॉक्टर इस बीमारी का कारगर इलाज़ नहीं ढूंढ पाए हैं। चूंकि इस बीमारी में मृत्युदर सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत है। इसीलिए डॉक्टर्स सावधानी को ही दूसरा इलाज बनाते है।

ये भी पढ़ें:

शरीर में दिखें ये लक्षण तो हो सकता है ब्रेन ट्यूमर, इस तरह रखें ख्याल

नींद का कम आना हो सकता है खतरनाक, पड़ सकता है आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर

5 नहीं बल्कि 6 अंगुली वाले लोग ज्यादा तेज होने के साथ होते हैं फुर्तिले

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Health News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement