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दिखें ये लक्षण तो समझो आपको है सर्वाइकल कैंसर, महिलाएं ऐसे करें खुद का बचाव

कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही है। जानिए इसके लक्षण, बचाव के उपाय और ट्रिटमेंट....

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated : January 10, 2018 16:15 IST
Cervical Cancer
Cervical Cancer

हेल्थ डेस्क:  हाल के आंकड़े बताते हैं कि 15 से 44 वर्ष की आयु में भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण गर्भाशय-ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभरा है। अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है।

भारत में ग्रीवा कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं। कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही है। यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं।

क्या है सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है। सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और स्तंभ कोशिकाएं। गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है। गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर ज्यादातर मानव पैपीलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है। लगभग सभी ग्रीवा कैंसर एचपीवी में से एक के साथ दीर्घकालिक संक्रमण के कारण होता है।

ऐसे होता है ये कैंसर
उन्होंने कहा कि एचपीवी संक्रमण यौन संपर्क या त्वचा संपर्क के माध्यम से फैलता है। कुछ महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में एचपीवी संक्रमण लगातार बना रहता है और इस रोग का कारण बनता है। इन परिवर्तनों को नियमित ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग (पैप परीक्षण) द्वारा पता लगाया जा सकता है। पैप परीक्षण के साथ, गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का एक सतही नमूना नियमित पेल्विक टैस्ट के दौरान एक ब्रश से लिया जाता है और कोशिकाओं के विश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है।

अगली स्लाइड में पढ़ें लक्षण और कैसे करें बचाव के बारें में

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