हेल्थ डेस्क: कैंसर एक ऐसा खतरनाक रोग है जो पुरुषों में हो या स्त्रियों में ये दोनों के लिए खतरनाक है लेकिन हालिया रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बड़े शहरों में रहने वालों पुरुषों को एक खास तरह की कैंसर अपना शिकार बना रही है। जानिए क्यै है वह कैंसर एंव उसके लक्षण। इस रिसर्च में कैंसर से जुड़ी जितनी भी बात सामने आई काफी हैरान कर देने वाले थे। आपको बता दें कि कैंसर के 200 से ज्यादा प्रकार हैं लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि बड़े शहरों में रहने वालों के कैंसर होने का ज्यादा खतरा है। खासकर दिल्ली, मुंबई जैसे शहरो में रहने वालें लोगों में। दिल्ली में पुरुषों में सबसे ज्यादा हेड, गला, फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलन, ओसेफेगस कैंसर के मामले सामने आते हैं जबकि दिल्ली की महिलाओं में होने वाले कैंसरों में ब्रेस्ट, कर्विक्स, गैलब्लैडर, ओवरी और लंग प्रमुख हैं। लेकिन इस स्टडी के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में दिल्ली वालों को गैलब्लैडर कैंसर (GBC) होने का खतरा भी बढ़ रहा है।
1998 में दिल्ली में पुरुषों को अपनी जकड़ में लेने वाले कैंसर में गैलब्लैडर कैंसर (जीबीसी) 24वें नंबर पर था जबकि महिलाओं को होने वाले कैंसर के मामलों में पांचवे नंबर पर था। 14 वर्षों बाद 2012 में जीबीसी की रैकिंग बहुत ऊपर पहुंच गई है। 2012 में जीबीसी की रैकिंग 9वें स्थान पर पहुंच गई है और महिलाओं को होने वाले कैंसर में तीसरे नंबर पर है।
ये चौंकाने वाले फैक्ट एम्स के रिसर्चरों द्वारा बनाई गई एक रिपोर्ट का हिस्सा है। एम्स की टीम ने दिल्ली में गैलब्लैडर कैंसर (जीबीसी) के मामलों पर 25 वर्षों के डेटा का विश्लेषण किया। यह डेटा सरकार के पॉपुलेशन बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम से लिया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि हालांकि गैलब्लैडर होने के सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है लेकिन मोटापा और पर्यावरणीय घटक इस चिंताजनक बीमारी के जिम्मेदार हो सकते हैं। भारत में 1 लाख की आबादी पर जीबीसी के 11 मामले आते हैं। असम के कामरूप जिला गैलब्लैडर कैंसर के मामले में सबसे आगे है जहां 1 लाख की आबादी पर जीबीसी के 17 मामले आते हैं।
जीबीसी सबसे खतरनाक कैंसर में से एक है। अधिकतर मामले बहुत देरी से पता चलते हैं, उस स्थिति में सर्जरी नहीं की जा सकती है। गैलब्लैडर लिवर के नीचे पाई जाने वाली एक पाउच की तरह की आकृति का अंग है। यह बाइल, लिवर द्वारा उत्पादित लिक्विड स्टोर करता है जो फैट को तोड़ने में मदद करता है। बाइल (पित्त) टॉक्सिक मेटाबोलाइट्स को हटाने का मुख्य स्रोत है।
डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि देश के अन्य हिस्सों की तुलना में उत्तरी भारत (खासकर गंगा बेल्ट और पूर्वी भाग) में कैंसर के ज्यादा मामले सामने आते हैं। जीबीसी का गहरा संबंध गैलस्टोन्स से है, लेकिन इसके अलावा कुछ और भी फैक्टर हो सकते हैं जिन्हें रोकने पर इस बीमारी से बचा जा सकता है। मोटापा, स्मोकिंग, एल्कोहल सेवन कम करके, खान-पान और एक्सरसाइज पर ध्यान देकर इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
कुछ स्टडीज के मुताबिक, स्मोकिंग करने वालों को, स्मोकिंग ना करने वालों की तुलना में जीबीसी होने का खतरा ज्यादा होता है। एक सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि 1998 से 2010 के बीच स्मोकिंग करने वाले पुरुषों की संख्या में 220 फीसदी इजाफा हुआ है जबकि 2005-10 के बीच स्मोकिंग करने वाली महिलाओं की संख्या दोगुनी हुई है।
कुछ स्टडीज में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि रबर और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ औद्योगिक रसायनों के संपर्क में आने से भी गैलब्लैडर कैंसर होने की आशंका होती है। दिल्ली में युवाओं के बीच पिछले दो दशकों में फास्ट फूड, फ्राइड फूड और आधुनिक जीवनशैली की का चलन बढ़ा है जिससे जीबीसी का रिस्क भी बढ़ गया है।