शोध में पाया गया है नियमित तौर पर ईश्वर का ध्यान करने और प्रार्थना करने से रक्त संचार दुरुस्त रहता है। सामूहिक तौर पर प्रार्थना करने से व्यक्ति के मन में एकता का भाव बढ़ता है और अकेलापन दूर होता है। धार्मिक स्थल तक पैदल चल कर जाने से व्यायाम भी हो जाता है। नोएटिक (मंत्रों, संगीत, स्पर्श और प्रार्थना) थैरेपी वह थैरेपी होती है, जिसमें बिना दवाई, उपकरण और सर्जरी के इलाज किया जाता है।
कई मरीजों पर नोएटिक थैरेपी का इस्तेमाल करने से पाया गया है कि वह, जो सिर्फ दवाई लेते हैं, उनके मुकाबले इनके 30 प्रतिशत ज्यादा सही होने की संभावना होती है। साथ ही इन लोगों में एक आश्वासन इस बात का भी होता है कि ये मरीज लंबे समय तक बीमार नहीं पड़ते।