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मां का दूध शिशु में कई तरह के रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है

पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को अपने शिशु को स्तनपान कराने में अपूर्व सुखद अनुभूति होती है और यह शिशु के लिए भी एक अनमोल उपहार है। मां का दूध शिशु में प्रतिरक्षा क्षमता, यानी रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : August 04, 2018 18:32 IST
mother and baby
mother and baby

हेल्थ डेस्क: पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को अपने शिशु को स्तनपान कराने में अपूर्व सुखद अनुभूति होती है और यह शिशु के लिए भी एक अनमोल उपहार है। मां का दूध शिशु में प्रतिरक्षा क्षमता, यानी रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है। महिलाओं को शिशु को स्तनपान कराने के सही तरीके और यह अच्छी तरह पता होना चाहिए कि बच्चे को कैसे, कब और कितना स्तनपान कराना है। मिथकों के अलावा आधुनिक जीवनशैली की वास्तविकताएं नई माताओं में अक्सर उलझन पैदा करती रहती है, इसलिए उन्हें स्तनपान से जुड़ी भ्रांतियों को नजरअंदाज करना चाहिए।

पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के कंसल्टेंट डॉ. मयूर दास ने कहा, "स्तनपान एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। घर की बुजुर्ग महिलाओं को चाहिए कि वे नई माताओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करें और उन्हें स्तनपान के सही तरीके बताएं। स्तनपान कराने के लिए माताओं को कुछ महत्वपूर्ण चीजों को ध्यान का रखना चाहिए, जैसे कि शिशु के जीवन के पहले घंटे के भीतर स्तनपान कराने की शुरुआत हो और छह महीने तक शिशु को स्तनपान कराएं। बोतल, कृत्रिम निप्पल या चुसनी के उपयोग के बिना स्तनपान कराएं, इससे मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे।"

डॉ. मयूर दास के कुछ सुझाव:

मां का दूध प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। प्रसव के बाद उत्पन्न होने वाला स्तन दूध 'कोलोस्ट्रम' आपके बच्चे के लिए पहला सही आहार है, क्योंकि यह पहला टीका लगने के समान होता है। यह एंटीबॉडी और इम्यूनोग्लोबुलिन (आईजीए) से भरपूर होता है। कोलोस्ट्रम में अधिक संख्या में सुरक्षात्मक सफेद कोशिकाएं होती हैं, जिसे ल्यूकोसाइट्स कहा जाता है। ये कोशिकाएं सूक्ष्मजीवों से शिशु का बचाव करती हैं।

स्तन दूध में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिजों का प्राकृतिक अद्वितीय उच्च संतुलन होता है, जिस कारण बच्चे के द्वारा इसे पचाना और अवशोषित करना आसान होता है। मां का दूध बच्चों में बाद के जीवन में मधुमेह की आशंका को 35 प्रतिशत तक कम करता है और बचपन के कैंसर और बाद में हृदय रोग के खतरे को भी कम कर देता है।

स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में 'बोतलपान' करने वाले बच्चों में दस्त, कोलेरा जैसे संक्रमण की संभावना अधिक होती है। स्तनपान कराने वाली महिलाएं प्रसव के बाद की समस्याओं से तेजी से और आसानी से निजात पा जाती हैं, क्योंकि यह ऑक्सीटॉक्सिन हार्मोन जारी करता है, जो गर्भाशय को सामान्य स्थिति में वापस लौटने में मदद करता है और प्रसव के बाद के रक्तस्राव को कम कर देता है।

बच्चे को डिब्बाबंद दूध पिलाने वाली माताओं की तुलना में स्तनपान करने वाली माताओं में प्रति दिन 300 से 500 अतिरिक्त कैलोरी खर्च होती है। शोध से भी पता चला है कि स्तनपान कराने वाली माताओं में गर्भावस्था के दौरान प्राप्त वजन बहुत तेजी से कम होता है। स्तनपान काफी फायदेमंद है, लेकिन स्तनपान को लेकर अभी भी कई मिथक हैं, जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है।(होठों के कैंसर का इस तरह करें पहचान, जानिए इसके लक्षण)

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