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सुबह उठते वक्त अक्सर रहती है सिरदर्द की समस्या तो हो सकता है ब्रेन ट्यूमर, जानिए और लक्षण

कैंसर के बारे में आप जानते ही होंगे कि इसकी पहचान शुरुआती स्टेज में नहीं होती है। लेकिन इसके लक्षण धीरे-धीरे शरीर में दिखने लगते हैं। आपको बता दें कि कैंसर दो प्रकार के होते हैं कैंसर रहित और बिना कैंसर वाले। ब्रेन ट्यूमर के आकार और स्थिति अलग-अलग टाइप के हो सकते हैं। 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : June 10, 2018 12:58 IST

priyanka chopra

Image Source : PTI
priyanka chopra

रेडिएशन: जिन लोगों को एक विशेष प्रकार के रेडिएशन जिसे आयोनाइजिंग रेडिएशन कहते हैं का एक्सपोज़र मिलता है। उनमें ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। आयोनाइजिंग रेडिएशन के उदाहरणों में सम्मिलित हैं कैंसर के उपचार के लिए रेडिएशन थैरेपी और एटॉमिक बम के कारण हुआ रेडिएशन एक्सपोज़र। जेनेटिक लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है जिनके परिवार में पहले भी लोगों का ब्रेन ट्यूमर रहा हो। जिनके परिवार में जेनेटिक सिंड्रोम का पारिवारिक इतिहास होता है, उनमें भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

सेलफोन से भी है खतरा:  सेलफोन से निकलने वाली रेडियोफ्रिक्वेंसी एनर्जी के कारण ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक नियमित रूप से सेलफोन का इस्तेमाल ब्रेन ट्यूमर का एक रिस्क फैक्टर है, तो कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला कि रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी के एक्सपोज़र और ब्रेन ट्यूमर में कोई संबंध नहीं है। लेकिन अधिकतर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन बच्चों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ाते हैं।

क्या है इलाज
ट्यूमर के आकार, स्थिति के आधार पर उपचार किया जाता है :

सर्जरी: पूरे ट्यूमर को या उसके कुछ भाग को निकाल दिया जाता है। ब्रेन ट्यूमर को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी में कई जोखिम होते हैं जैसे संक्रमण और ब्लीडिंग। अगर ट्यूमर ऐसे स्थान पर है जहां जोखिम अधिक है तब उपचार के दूसरे उपायों का सहारा लिया जाता है।

माइक्रो एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी: इसने सर्जरी को आसान और बेहतर बना दिया है। इसमें एंडोस्कोप का इस्तेमाल करते हैें। इस सर्जरी के दौरान उन जगहों तक पहुंचना संभव होता है, जहां पारंपरिक सर्जरी द्वारा पहुंचना मुश्किल होता है। इसके साइड इफेक्ट्स भी कम हैं।

रेडिएशन थैरेपी:रेडिएशन थैरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है।

रेडियो सर्जरी: इसमें कैंसरयुक्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कई बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है। रेडियो सर्जरी एक ही सीटिंग में हो जाती है।

कीमोथैरेपी: इसमें दवाइयों का इस्तेमाल ट्यूमर की कोशिकाओं को मारने के लिए करते हैं। कीमोथैरेपी की दवाएं गोली के रूप में या नसों में इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। इससे जी मचलाना, उल्टी होना या बाल झड़ने की समस्या हो सकती है।

टारगेट ड्रग थैरेपी: यह कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट असामान्यताओं पर फोकस करती है। इन असामान्यताओं को ब्लॉक करके कैंसर कोशिकाओं को खत्म करते हैं।

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