हेल्थ डेस्क: प्रेग्नेंसी के दौरान मस्तिष्क प्रोटीन के स्तर में कमी की वजह से माताओं में अवसाद और बच्चे के जन्म के समय कम वजन में जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
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एक शोध में यह बात सामने आई है। शोध से पता चलता है कि मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाला न्यूरोट्रोफिट कारक (बीडीएनएफ) यह सामान्य तौर पर मूड के निर्धारण के लिए जाना जाता है। यह प्लेसेंटा (नाल) और बच्चे के दिमाग के विकास के लिए भी जरूरी होता है। यह गर्भावस्था के दौरान लगातार बदलता रहता है।
प्रोटीन के स्तर में एक कमी अवसाद के पीछे की वजह है। यह गर्भावस्था के दौरान एक आम बात है।
ओहियो राज्य विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर लिसा एम. क्रिश्चियन ने कहा, "हमारे शोध से पता चलता है कि बीडीएनएफ स्तर में पूरे गर्भावस्था के दौरान ज्यादा बदलाव महिलाओं में अवसाद के लक्षण दिखाता है। साथ ही इससे कमजोर भ्रूण की वृद्धि का भी पता चलता है।"
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 139 महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद के रक्त के नमूने लिए गए। इसमें बीडीएनएफ के स्तर को देखा गया।
परिणाम में सामने आया कि बीडीएनएफ के स्तर के कम होने के कारण दूसरे और तीसरे तिमाही में ज्यादा अवसाद के लक्षणों की भविष्यवाणी की गई।
कुछ अवसाद रोधी दवाओं का प्रभाव बीडीएनएफ स्तर के बढ़ाने में देखा गया है।
किश्चियन ने कहा, "यह कुछ गर्भवती महिलाओं के लिए सही हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम की संभावनाएं हैं और दूसरे प्रभाव हो सकते हैं।" शोधकर्ताओं का कहना है कि बीडीएनएफ स्तर को बढ़ाने में व्यायाम प्रभावी तरीका है।
किश्चियन ने कहा, "चिकित्सक की सहमति से गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर बीडीएनएफ स्तर को बनाए रखा जा सकता है। यह एक महिला के मूड के लिए और बच्चे के विकास के लिए लाभकारी है।"
शोध का प्रकाशन पत्रिका 'साइको न्यूरो इंडोक्राइनोलॉजी' में किया गया है।