हेल्थ डेस्क: अनिमित खानपान और खराब दिनचर्या के कारण स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही बाल झड़ने की भी समस्या हो जाती है। 10 में से 4 को बाल गिरने की समस्या है। रोजाना 100 बाल गिरना आम समस्या है, लेकिन इससे ज्यादा गिरे तो यह एक गंभीर समस्या बन जाती है। हाल में ही एक शोध किया गया जिसमें ये बात सामने आई कि युवाओं में तेजी से बाल गिरने की समस्या हो रही है। यह समस्या 20 से 30 साल के उम्र के युवाओं को ज्यादा हो रही है।
पिछले कुछ वर्षो में भारतीय पुरुषों में समय से पहले ही बाल झड़ने की समस्या में वृद्धि हुई है। बाल झड़ने की शिकायत करने वाले हर 10 लोगों में से करीब आठ पुरुष होते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, 20 और 30 वर्ष से ऊपर की आयु वाले युवाओं की एक बड़ी तादाद ऐसी है जो बाल उगाने वाली सर्जरी कराना पसंद करते हैं।
किसी व्यक्ति के दिन में यदि 50 से 100 बाल झड़ते हैं तो यह एक सामान्य बात है। लेकिन इससे अधिक बाल गिरना इस बात का संकेत देता है कि सब कुछ ठीक नहीं है। इस कंडीशन को एलोपेसिया कहते हैं। समय से पहले बालों के झड़ने के लिए जिम्मेदार कारकों में प्रमुख हैं- मानसिक तनाव, धूम्रपान, मदिरा पान, प्रदूषण और अच्छी खुराक की कमी है।
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आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "एलोपेसिया आमतौर पर आनुवांशिक होता है। हालांकि, आज जीवनशैली में परिवर्तन और तनाव के कारण भी युवक इस समस्या में फंस रहे हैं। बाल गिरने के पीछे अत्यधिक मानसिक या शारीरिक तनाव भी एक बड़ा कारण है। शरीर से आमतौर पर तीन महीनों के अंतराल के बाद बाल गिरते हैं। इसके अलावा, कुछ बीमारियां जो कि विषैले खाद्य पदार्थो से होती है, उनकी वजह से भी बाल गिर सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "तनाव से भरी नौकरी और जंक फूड की खपत से बाल गिरने लगते हैं। इनमें पोषक तत्वों और फाइबर का अभाव होता है। पर्याप्त मात्रा मंे पानी न पीने, धूम्रपान करने और अल्कोहल के अधिक सेवन से भी समय से पहले बालों का झड़ना शुरू हो जाता है।"
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि बालों की मजबूती के लिए पोषण महत्वपूर्ण है। अस्थि मज्जा को छोड़कर, मानव शरीर का कोई अन्य हिस्सा प्रति माह आधा इंच की गति से नहीं बढ़ता। इसलिए बालों को सही पोषण प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया, "जब तक समस्या गंभीर नहीं हो जाती और उपचार की आवश्यकता नहीं होती, तब तक जीवनशैली में परिवर्तन लाकर बालों की समस्या को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। जीवनशैली में साधारण से बदलाव लाकर ऐसा किया जा सकता है, जैसे कि सात घंटे की गहरी नींद, पीने का पर्याप्त पानी, और प्रोटीन युक्त आहार का सेवन।"
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