हेल्थ डेस्क: अगर आप का बच्चा खोया-खोया रहता है, तो वह ऑटिज्म नामक बीमारी का शिकार हो सकता है। ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन से ही नजर आने लग जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास तुलनात्मक रूप से धीरे होता ह। ये जन्म से लेकर 3 वर्ष की आयु तक विकसित होने वाला रोग है जो सामान्य रूप से बच्चे के मानसिक विकास को रोक देता है। ऐसे बच्चे समाज में घुलने-मिलने में हिचकते हैं, वे प्रतिक्रिया देने में काफी समय लेते हैं और कुछ में ये बीमारी डर के रूप में दिखाई देती है। (रोजाना सुबह खाली पेट करें इसका सेवन और पाएं पेट की चर्बी से निजात)
हालांकि ऑटिज्म के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन ऐसा माना जाता है कि ऐसा सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचने के कारण होता है. कई बार गर्भावस्था के दौरान खानपान सही न होने की वजह से भी बच्चे को ऑटिज्म का खतरा हो सकता है। लेकिन इस बीमारी से काफी हद तक आहार बदलने से निजात पा सकते है। यह बात एक शोध में साबित हुई।
आहार में परिवर्तन और प्रो व प्रीबायोटिक अनुपूरक और एंटीबॉयोटिक्स का सेवन ऑटिज्म के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है। यह निष्कर्ष ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर (एएसडी) पर 150 शोध पत्रों की समीक्षा पर आधारित है। यह समीक्षा उन कई अध्ययनों पर प्रकाश डालती है, जिसमें कहा गया है कि पेट के बैक्टीरिया का स्वस्थ संतुलन एएसडी का इलाज हो सकता है। (ये 4 आसन दिलाएंगे आपको आंखों की समस्या से छुटकारा)
चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी के किनरुई ली ने कहा, "एक स्वस्थ व्यक्ति में पेट के माइक्रोबायोटा को बहाल करने के प्रयास वास्तव में प्रभावी साबित हुए हैं।"
ली ने कहा, "प्रोबायोटिक व प्रीबायोटिक और आहार पर्वितन सभी का एएसडी लक्षणों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।"
इसके अलावा मिलनसार व्यवहार के बढ़ने और सामाजिक संचार में सुधार एएसडी पीड़ित व्यक्ति के जीवन के लिए बेहद फायदेमंद हो सकते हैं।
यह निष्कर्ष 'फ्रंटियर्स इन सेलुलर न्यूरोसाइंस' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।