लक्षण
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के कुछ सबसे आम लक्षण हैं-
रात में, व्यायाम के दौरान या हंसते समय सांस लेने में कठिनाई छाती में जकड़न, सांस की कमी और घरघराहट (विशेषकर सांस छोड़ते समय)। यदि उपचार न किया जाए तो अस्थमा के लक्षण खतरनाक हो सकते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सांस की नली में संवेदनशीलता बढ़ रही है, क्योंकि लोग कई तरह के ट्रिगर्स वाले संपर्क में अधिक रहते हैं। अस्थमा के मरीज को निरंतर चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है और मध्यम से गंभीर अस्थमा वाले रोगियों को लंबे समय तक दवाइयां लेनी पड़ सकती हैं। इनमें सूजन कम करने वाली दवाएं प्रमुख हैं। लक्षणों और हमलों को रोकने के लिए दवाएं हर दिन ली जानी चाहिए। तकलीफ से आराम दिलाने के लिए, शॉर्ट-एक्टिंग बीटा 2-एगोनिस्ट जैसी इन्हेलर दवा ली जा सकती है।"
ऐसे करें खुद का बचाव
- चिकित्सा सलाह का ध्यानपूर्वक पालन करें। अस्थमा पर नियमित रूप से निगरानी रखने की आवश्यकता है और निर्धारित दवाएं लेकर लक्षणों को काबू में रखने में मदद मिल सकती है।
- इंफ्लूएंजा और न्यूमोनिया के टीके लगवाने से अस्थमा के दौरे से बचा जा सकता है।
- उन ट्रिगर्स को पहचानें जो अस्थमा को तेज करते हैं। ये एलर्जी पैदा करने वाले धूलकण और सूक्ष्म जीव तक कुछ भी हो सकते हैं।
- सांस लेने की गति और अस्थमा के संभावित हमले को पहचानें। इससे आपको समय पर दवा लेने और सावधानी बरतने में सहूलियत होगी।