हेल्थ डेस्क: एंकाइलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, सोरिएसिस एवं सोरिएटिक आर्थराइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यहां जेपी हॉस्पिटल ने एक संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें आम जनता को बीमारी के कारण, रोकथाम, जल्दी निदान के महत्व, इलाज, पोषण एवं व्यायाम के महत्व आदि के बारे में बताया गया। अस्पताल के यूमेटरेलॉजी विभाग की कंसल्टेंट डॉ. सोनल मेहरा ने कहा, "एंकाइलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक क्रोनिक इन्फ्लामेटरी डिजीज है, जो नितंबों, रीढ़ और कूल्हे के जोड़ों को प्रभावित करती है। यह बीमारी आजकल 40 साल से कम उम्र के युवाओं में ज्यादा आम है। गतिहीन जीवनशैली, बैठने के गलत तरके, तनाव, काम का बोझ आदि इसके मुख्य कारण हैं। इन सभी कारणों से अक्सर मरीज की हालत बिगड़ती जाती है और दर्द बढ़ता जाता है।"
डॉ. मेहरा ने कहा, "वर्तमान में भारत में लगभग 40 लाख लोग एंकालोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित हैं। यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाई जाती है। इसके लक्षण हैं - गर्दन से लेकर पीठ के नीचले हिस्से तक बहुत अधिक दर्द और अकड़न। यह आर्थराइटिस से जुड़ी एक समस्या है, बीमारी बढ़ने पर दर्द इतना बढ़ जाता है कि मरीज के लिए हिलना-डुलना और चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।"
उन्होंने कहा, "आज भी लोगों में रोग के बारे में जागरुकता की कमी है, यही कारण है कि इसका निदान समय पर नहीं हो पाता। सक्रिय जीवनशैली, फिजियोथेरेपी और नियमित व्यायाम जैसे योगा, जिम, एरोबिक्स और तैराकी आदि से इसमें बहुत फायदा मिलता है।"
अस्पताल की डर्मेटोलॉस्टि डॉ. साक्षी श्रीवास्तव ने सोरिएसिस के बारे में कहा, "सोरिएसिस ऐसी स्थिति है, जिसमें त्वचा की कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं। जिससे त्वचा पर से पपड़ी/परतें उतरने लगती हैं। त्वचा पर उभरे पैच, त्वचा का सिल्वर या सफेद या लाल होना इसके मुख्य लक्षण हैं। माइल्ड सोरिएसिस के लिए स्किन क्रीम और ऑइन्टमेन्ट इस्तेमाल किए जाते हैं। विटामिन डी सोरिएसिस का प्रभावी उपचार है।"