Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. हेल्थ
  4. 19 फीसदी पुरुष किडनी डिस्फंक्शन के शिकार: सर्वे

19 फीसदी पुरुष किडनी डिस्फंक्शन के शिकार: सर्वे

 किडनी फंक्शन में असामान्यता महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है, जहां 19 फीसदी पुरुष किडनी डिस्फंक्शन का शिकार हैं, वहीं किडनी डिस्फंक्शन से पीड़ित महिलाओं की संख्या नौ फीसदी है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : March 15, 2019 8:38 IST
बीमारी
बीमारी

नई दिल्ली: किडनी फंक्शन में असामान्यता महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है, जहां 19 फीसदी पुरुष किडनी डिस्फंक्शन का शिकार हैं, वहीं किडनी डिस्फंक्शन से पीड़ित महिलाओं की संख्या नौ फीसदी है। एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के 10 लाख से ज्यादा जांच परिमाणों पर आधारित सर्वे में यह निष्कर्ष सामने आया है। 

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स ने एक सर्वे में पाया कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में भारत के पूर्वी राज्यों में रहने वाले लोगों में गुर्दे संबंधी जांचों के परिणाम ज्यादा असामान्य पाए गए हैं। ये परिणाम 2016 से 2018 के बीच देश भर में किडनी फंक्शन टेस्ट के परिणामों पर आधारित हैं।

एसआरएल के सर्वेक्षण में सामने आया कि किडनी फंक्शन में असामान्यता (क्रिएटिनाईन और यूए दोनों) पूर्वी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पाई गई (16 फीसदी), जबकि उत्तरी क्षेत्रों में यह 15 फीसदी पाई गई। लिंग वार असामान्यता की बात करें तो किडनी फंक्शन में असामान्यता महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है, जहां 19 फीसदी पुरुष किडनी डिस्फंक्शन का शिकार हैं, वहीं किडनी डिस्फंक्शन से पीड़ित महिलाओं की संख्या नौ फीसदी है। 

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के आरएंडडी एंड मॉलीक्यूलर पैथोलोजी के एडवाइजर एवं मेंटर डॉ. बी.आर. दास ने कहा, "आमतौर पर क्रोनिक रोगों की रोकथाम के लिए चलाए जाने वाले स्वास्थ्य प्रोग्रामों में हाइपरटेंशन, डायबिटीज मैलिटस और कार्डियोवैस्कुलर रोगों पर ध्यान दिया जाता है। हालांकि वर्तमान में क्रोनिक किडनी रोगों के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो ज्यादातर मामलों में अंतिम अवस्था के गुर्दा रोग बन कर परिवार एवं राष्ट्र पर आर्थिक बोझ पैदा करते हैं।" 

उन्होंने कहा, "ऐसे मरीजों और उनके परिवारों को डायलिसिस और गुर्दा प्रत्यारोपण का भारी खर्च उठाना पड़ता है। ऐसे में हमें इन परिणामों को गंभीरता से लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि इनकी रोकथाम के लिए जल्द से जल्द उचित कदम उठाए जाएं, इससे पहले कि इसे प्रबंधन करना असंभव हो जाए।"

उन्होंने कहा, "गुर्दा रोग वर्तमान में दुनिया भर में मौतों का 11वां सबसे बड़ा कारण हैं। क्रोनिक गुर्दा रोग के मरीज ज्यादातर गरीब वर्ग या ऐसे परिवारों से ताल्लुक रखते हैं जो गरीबी की रेखा से नीचे हैं। ऐसे में गंभीर महामारी का रूप लेते इस गैर-संचारी रोग पर ध्यान देने की जरूरत है।" 

डॉ. बी.आर. दास ने कहा, "लोगों को इसके विषय में जागरूक बनाना रोकथाम के लिए कारगर साबित हो सकता है। ऐसा सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, अकादमिकज्ञों एवं सामाजिक कल्याण संगठनों की साझेदारी से संभव है।"

विशेषज्ञों का कहना है कि क्रोनिक किडनी रोगों के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके मरीजों को डायलिसिस और गुर्दा प्रत्यारोपण का भारी खर्च उठाना पड़ता है। ऐसे में हमें इन परिणामों को गंभीरता से लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि इनकी रोकथाम के लिए जल्द से जल्द उचित कदम उठाए जाएं, इससे पहले कि इसका प्रबंधन करना असंभव हो जाए।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Health News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement