हेल्थ डेस्क: मुहम्मद अली, बिली कॉनॉली और रॉबिन विलियम्स के बीच क्या बात समान है? खैर, अपने संबंधित क्षेत्रों में मशहूर और बेहतरीन होने के अलावा इन लोगों को भी पार्किंसंस की बीमारी का सामना करना पड़ा था। आज वर्ल्ड पार्किंसंस डे है। क्या है ये बीमारी और क्या है इसके बचने के उपाय। इन सब मुद्दों पर बात करते हैं आर्टीमीस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ सुमित सिंह से।
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पार्किंसंस रोग है क्या और क्या है इस रोग से बचने के उपाय?
पार्किंसंस रोग (पीडी) एक प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क में पर्याप्त डोपामाइन नहीं बन पाता है क्योंकि मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। डोपामाइन में कमी होने से शरीर की सुचारू हरकत नियंत्रित करने की क्षमता कम होने लगती है। इससे मांसपेशियों की कठोरता, कंपन, गति धीमी हो जाना और सहज गतिविधि का धीरे-धीरे नुकसान, चलने के ढंग में और मुद्रा में परिवर्तन, भाषा और हस्तलेखन में बदलाव, संतुलन का नुकसान आदि होता है। हालांकि पार्किंसंस अपने आप में घातक नहीं है, लक्षण समय पर पता न लगने पर समय के साथ खराब होते जाते हैं। इसके अलावा, कई अध्ययन सिद्ध करते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसंस रोग अधिक पता चलता है, लगभग 3 और 1 का अनुपात।
पार्किंसंस रोग होने का पता लगने पर कई मरीजों को लगता है कि दुनिया खत्म हो गई है या फिर यह मौत की सजा है। लेकिन, उपचार, कसरत, स्वस्थ आहार और मस्तिष्क की गहन मस्तिष्क उत्तेजना शल्य-चिकित्सा के उपचार से, पार्किंसंस से पीडि़त कई लोग पूरा जीवन जीते हैं।
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