हेल्थ डेस्क/khabarindiatv.com: अगर आप अपनी लाइफ स्टाइल को लेकर लापरवाह हैं और अपने बढ़ते ब्लड प्रेशर और कभी कभी हाइपरटेंशन के लेवल को लेकर सचेत नहीं रहते हैं तो आपको अलर्ट होने की जरूरत है,क्योंकि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने ब्लड प्रेशर को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। हो सकता है संडे तक आप ब्लड प्रेशर के इस गाइडलाइन के आने के बाद आप भी बीपी के हाई रिस्क जोन वाले मरीजों में से एक हो जाएं। अगर आप इस बात को सोचकर हैरान हो जाएं तो हम आपको बता दें ऐसा बदलाव हो रहा है और केवल एक रात के अंतर में सिंगापुर जैसे देश में जहां कल तक 4 में से एक व्यक्ति ब्लड प्रेशर का शिकार माना जा रहा था वहां केवल एक रात के अंतर के बाद यह आंकड़ा बदल गया और अब हर 3 में से एक व्यक्ति बीपी के मरीज की सूची में आ गया है।
अमेरिका में तो आधे युवा इस सूची में आ गए है, दरअसल अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने हाई ब्लड प्रेशर को लेकर जो नई गाइडलाइन जारी की है उसके अनुसार प्रेशर सिस्टोलिक 130 और डाइस्टोलिक 80 कर दिया गया है। इस गाइडलाइन से पहले डॉक्टर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 डाइस्टोलिक 90 ब्लड प्रेशर को अभी र्मल मानते थे, लेकिन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ब्लड प्रेशर को परिभाषित करते हुए उन्होंने इससे जुड़ी नई गाइड लाइन जारी किया है।
..तो अब इस आधार पर तय होगा आपका ब्लड प्रेशर?हेल्थ के क्षेत्र में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार उसकी नई गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 130 और डाइस्टोलिक प्रेशर 80 तक आए तो ऐसे व्यक्ति को अलर्ट होने की जरूरत है और उसे बीपी के मरीज की श्रेणी में रखा जाए।
तो क्या दवा लेना जरूरी हो जाएगा ?
हेल्थ के क्षेत्र में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार उसकी नई गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 130 और डाइस्टोलिक प्रेशर 80 तक आए तो ऐसे व्यक्ति को अलर्ट होने की जरूरत है और उसे बीपी के मरीज की श्रेणी में रखा जाए।
रिसर्च में शामिल डॉक्टरों के अनुसार ऐसे मरीजों को हाइपरटेंशन की स्टेज वन में रखना उचित होगा और उनकी लाइफ स्टाइल में जरूरी बदलाव करना होगा नहीं तो वह हाइपरटेंशन के लेवल 2 पर आ जाएंगे जहां से बीपी की दवा शुरु करना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति ना हो इसलिए लेवल वन पर ध्यान रखना होगा। लेकिन स्टेज वन पर अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो हाई ब्लड प्रेशर के साथ मधुमेह का भी शिकार है तो ऐसी स्थिति में दवा के विकल्प पर विचार करना लाभदायक और जरूरी हो जाता है। मरीज के हेल्थ इतिहास और उसकी वर्तमान दशा के आधार पर डॉक्टर यह फैसला कर सकते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर की दवा की मरीज को जरूरत है या नहीं।
आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर-