एम्स में पढ़ाई के समय पता चली ये बात
दिल्ली में एम्स में पढ़ाई के दौरान माया को पता चला कि उनके इंफेक्शन के पीछे की वजह पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा था। उसके बाद से मैने सैनिटरी पैड्स का यूज किया और उसको लेकर महिलाओं और बच्चियों को जागरुक करने का जिम्मा उठाया।
नहीं आया था पैडमैन की मशीन का फार्मूला रास
माया ने बताया कि जब वह 2 साल के बाद नरसिंहपुर वापस आई तो मैंने अरुणाचलम मुरुगनाथम से बात की, लेकिन उसकी मशीन का फार्मूला मुझे रास नहीं आया। इसकी वजह थी कि उसमें हाथ से ज्यादा काम था।
ऐसे खड़ा किया खुद का बिजनेस
माया ने बताया कि वह एक बेहतर मशीन चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों से कुछ पैसे उधार लिया और कुछ पैसों का जुगाड़ क्राउड फंडिंग से किया। फिर मैने मशीने खरीदी। आज 2 कमरों में माया सैनेटरी पैड बनाने का काम चलाती है। रोजाना 1000 पैड बनाएं जाते है।
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