एम्स के चिकित्सक और नीति आयोग के सदस्य विनोद के पॉल कहते हैं कि वायु प्रदूषण का सीधा संबंध न्यूमोनिया जैसी बीमारी से है जो भारत में हर साल 18 लाख बच्चों की जान ले लेता है। इसके अलावा दमा और दूसरे सांस के रोगों को भी जन्म देता है। गर्भस्थ शिशुओं पर भी वायु प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल की उम्र तक प्रदूषण के प्रभाव से बच्चे के आईक्यू में 5 अंकों तक की गिरावट आ सकती है।
डॉक्टर पॉल कहते हैं, रसोई घर में कुकिंग गैस के इस्तेमाल के कारण घर के अंदर का प्रदूषण तो कम हो गया है पर बाहर होने वाले प्रदूषण से बचाव अभी भी बड़ी चुनौती है। वहीं सादिक खान ने बताया कि लंदन अब प्रदूषण के खिलाफ नई हाइटेक एअर क्वालिटी सेंसर तकनीक का ट्रायल करने जा रहा है। इस के जरिए शहर के सौ से लेकर 1000 स्थानों पर वायु प्रदूषण पर नजर रखी जा सकती है।लंदन इस तकनीक के परिणाम जल्द ही भारत से भी साझा करेगा।