यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एन्थोनी लेक कहते हैं कि अगर बच्चों को वायु प्रदूषण के खतरों से बचाया जाए तो आगे हमें सेहत की देखभाल पर होने वाले खर्चो में भी कमी ला सकते हैं। प्रदूषक ऑक्सिडेटिव तनाव पैदा करता है जो न्यूरोडेगनेरेटिव रोगों का कारण बनता है। ये उस प्रकार के प्रदूषण होते हैं जो कोयला और दूसरे प्रकार के ईंधन से निकलता है।
गुडग़ांव के फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ बाल चिकित्सालय के पुलिम्नोल्जिस्ट डॉ कृष्णन चघ ने कहा कि बच्चे का अधिकांश मस्तिष्क का विकास अपने जन्म के 1000 दिनों के अंदर हो जाता है। इसी दौरान बच्चें धीरे-धीरे प्रदूषण के चपेट में आ जाता है। क्योंकि बच्चामुंह से तेजी में सांस लेते हैं इसलिए ज्यादा मात्रा में प्रदूषण उनके अंदर चला जाता है।