बचपन में वायु प्रदूषण का सामना करने से किशोरावस्था में अवसाद, व्यग्रता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। तीन नये अध्ययनों में इस बात उभर कर आई है।
‘एन्वायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स’ पत्रिका में छपे एक अध्ययन में पाया गया कि कम समय के लिए वायु प्रदूषण की चपेट में आने से बच्चों में मानसिक समस्याएं एक से दो दिनों बाद आ सकती हैं।
अमेरिका के सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं सहित अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि वंचित तबके के बच्चों में वायु प्रदूषण का असर ज्यादा हो सकता है और खासकर उनमें व्यग्रता और आत्महत्या की प्रवृत्ति जैसी बीमारियां ज्यादा हो सकती हैं।
सिनसिनाटी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर के कोल ब्रोकैम्प ने कहा, ‘‘इस अध्ययन में पहली बार बाहरी वायु प्रदूषण के स्तर और बच्चों में व्यग्रता एवं आत्महत्या की प्रवृत्ति जैसी मानसिक बीमारियों के बीच संबंध पाया गया।’’
ब्रोकैम्प ने कहा कि इन अध्ययनों की पुष्टि के लिए ज्यादा अनुसंधान की जरूरत है। जिन बच्चों में मानसिक बीमारी से जुड़े संकेत दिख रहे हों, उन्हें रोकने में यह मददगार हो सकता है।
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अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि हाल में सिनसिनाटी चिल्ड्रेन्स के दो अन्य अध्ययन प्रकाशित हुए जिनमें वायु प्रदूषण का संबंध बच्चों की मानसिक बीमारी से जुड़ा पाया गया। भाषा