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दिवाली के बाद होने वाले एयर पॉल्यूशन को न लें हल्के में, बच्चों के फेफड़े पर पड़ रहा है बुरा असर

दिवाली पर पटाखे फोड़ते वक्त भले ही बच्चों के चेहरे पर हंसी हो, लेकिन वही पटाखे उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं। 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: November 09, 2018 13:32 IST
air pollution- India TV Hindi
air pollution

हेल्थ डेस्क: दिवाली पर पटाखे फोड़ते वक्त भले ही बच्चों के चेहरे पर हंसी हो, लेकिन वही पटाखे उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं। पटाखों से निकलने वाला जहरीला धुआं सभी के लिए घातक है, लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के इससे बीमार पड़ने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पटाखों से निकले जहरीले धुएं का स्वस्थ लोगों पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है। बच्चों पर पटाखों का जहरीला धुंआ उनके दिमाग के विकास में रोड़ा अटका सकता है। साथ ही उनकी याददाश्त, समझने की क्षमता, फेफड़ों और दिल के ऊपर भी बुरा असर डाल सकता है। समस्या यह है कि इन हानिकारक पदार्थो को शरीर से बाहर निकालने की कोई तरकीब फिलहाल नहीं है।

पुष्पावती सिंघानिया अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. जी. सी. खिलनानी के अनुसार, "पटाखों में इस्तेमाल होने वाले रंग और भारी धातुओं से उत्पन्न पीएम 2.5 पार्टिकल्स स्ट्रॉन्टसियम, एल्युमीनियम, आर्सेनिक, चारकोल आदि से बनते हैं और बच्चों के फेफड़ों और शरीर के सबसे निचले भागों में जाकर जमा हो जाते हैं और तरह-तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं। छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को इनसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।"

धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पल्मोनोलॉजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ. नवनीत सूद ने बताया, "पटाखों के धुंए से दमे और सांस के मरीजों को भी काफी खतरा है। पटाखे जलाने से हवा में बारूद के छोटे कण फैल जाते हैं, जिससे लोगों को सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट और आंखों तथा नाक में जलन की समस्या हो सकती है। यही नहीं, पटाखे जलाते समय आंखों को लेकर भी खास सतर्कता बरती जानी चाहिए, क्योंकि आंखों में बारूद की चिंगारी चले जाने पर आंखों की रोशनी तक जा सकती है।"

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. अनिमेष आर्य बताते हैं, "दिल्ली एक गैस चैम्बर का रूप ले चुकी है। प्रदूषित हवा और पटाखों के जहरीले धुंए के असर से ब्रौंकियल अस्थमा, क्रोनिक ब्रौंकाइटिस, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, एलर्जिक राइनिटिस आदि की परेशानी काफी बढ़ जाती है। ऐसे में लोगों को ज्यादा प्रदूषित जगह पर जाने से बचना चाहिए, नाक और मुंह को मास्क से ढक कर रखना चाहिए। अस्थमा ग्रस्त लोग अपना इन्हेलर हमेशा अपने पास रखे। दिल के मरीज सुबह-सुबह या देर रात खुले में न जाएं। सुबह जॉगिंग पर जाने से बेहतर घर पर या जिम में व्यायाम करें।"

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