नई दिल्ली: भारत में जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि ने नीतिकारों के माथे पर लकीर खींच दी है। 1947 में जो जीवन प्रत्याशा दर लगभग 32 वर्ष हुआ करती थी, वह आज बढ़कर 68 वर्ष हो गई है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी। हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "अधिक से अधिक लोग काम के लिए शहरों में जा रहे हैं, जिससे पारंपरिक परिवार संरचनाएं बाधित हो रही हैं। ऐसी स्थिति में, परिवार के बुजुर्ग ही हैं जो पीछे छोड़ दिये जाते हैं और ऐसी स्थिति में उनकी देखभाल कठिन हो रही है। वृद्ध व्यक्तियों को अक्सर युवाओं से कम सक्षम और कम काबिल माना जाता है।"
उन्होंने कहा, "जागरूकता पैदा करने की जरूरत है कि बुजुर्गो के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उन्हें स्वस्थ तरीके से जीने में मदद कर सकता है। वृद्धावस्था को जीवन के एक और चरण के रूप में देखने की आवश्यकता है। ऐसा करने और बुजुर्गो से सम्मान के साथ व्यवहार करने से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।"
मौजूदा आबादी के चलन को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "बुजुर्गो के सामने पेश आने वाली चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत है और उन्हें सक्रिय भूमिका निभाने के लिए दुनिया को और समुदायों को अधिक समावेशी बनाने की आवश्यकता है। व्यक्तिगत स्तर पर, लोगों को स्वस्थ वृद्धावस्था के लिए, बीमारियों और जटिलताओं से बचने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने चाहिए।"
डॉ. अग्रवाल ने उम्र बढ़ने के साथ स्वस्थ रहने के लिए सुझाव देते हुए कहा, "ऐसा मत सोचिए कि आप बूढ़े हो। अपनी 80 या 100 साल की आयु में से अनुभव के 20 से 40 या अधिक वर्ष कम करिए, जो बचे वही आपकी वास्तविक आयु है। धूम्रपान छोडें, व्यायाम को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। फिसलकर गिरने से बचने के लिए अपने घर में छोटे-मोटे बदलाव करें, विभिन्न आयु से संबंधित बीमारियों की जांच करने के लिए मेडिकल स्क्रीनिंग करवाएं।"
उन्होंने कहा, "हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि के साथ एक संतुलित स्वस्थ आहार लेने से उम्र बढ़ने पर अधिक समस्याएं नहीं होती हैं। कैल्शियम और विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने से महिलाओं को खास मदद मिल सकती है। उम्र बढ़ने के साथ होने वाले डिमेंशिया और संज्ञानात्मक हानि का सामना करने के लिए बुढ़ापे में भी अपने दिमाग को सक्रिय रखना चाहिए। कई बुजुर्ग लोगों को नींद ठीक से लेने में समस्याएं आती हैं। अनिद्रा और दिन में ज्यादा सोने की शिकायतें आम हैं। ऐसे मुद्दों के बारे में अपने हेल्थकेयर प्रदाता से बात करें।"