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अगर आपके बच्चे पर दिखें ये लक्षण, तो वो है कुपोषित, ऐसे करें बचाव

5 साल से कम उम्र को बच्चों तो तेजी से हो रहा है कुपोषण का शिकार। इन लक्षणों से करें पहचान साथ ही अपनाएं ये टिप्स..

Reported by: IANS
Updated on: October 16, 2017 14:29 IST
malnutrition- India TV Hindi
malnutrition

हेल्थ डेस्क:  भारत में पांच वर्ष से कम आयु के 21 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। देश में बाल कुपोषण 1998-2002 के बीच 17.1 प्रतिशत था, जो 2012-16 के बीच बढ़कर 21 प्रतिशत हो गया। दुनिया के पैमाने पर यह काफी ऊपर है। एक रपट के मुताबिक, पिछले 25 सालों से भारत ने इस आंकड़े पर ध्यान नहीं दिया और न ही इस स्थिति को ठीक करने की दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रगति हुई है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीआई) 2017 में शामिल जिबूती, श्रीलंका और दक्षिण सूडान ऐसे देश हैं, जहां बाल कुपोषण का आंकड़ा 20 प्रतिशत से अधिक है। इस सूचकांक के चार प्रमुख मानकों में से कुपोषण भी एक है।

आंकड़े बताते हैं कि पोषण की कमी का नतीजा होता है बाल कुपोषण और ऐसे बच्चे संक्रमण के आसानी से शिकार हो जाते हैं, इनका वजन तेजी से कम होने लगता है और इन्हें स्वस्थ होने में बहुत समय लगता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "कुपोषण का एक मतलब यह भी है कि ऐसे बच्चे अपनी लंबाई के अनुपात में हल्के होते हैं। एक स्वस्थ बच्चे का वजन हर साल आम तौर पर दो-तीन किलोग्राम बढ़ना चाहिए। समस्या तब गंभीर मानी जा सकती है, जब एक बच्चे का वजन व ऊंचाई का माप विश्वस्तर पर स्वीकृत आदर्श माप से कम होता है। वजन कम होना और स्टंटिंग दो अलग समस्याएं हैं, जो ऐसे बच्चों में पाई जाती हैं।"

लक्षण

  • कुपोषण के कुछ लक्षणों में शरीर में वसा की कमी
  • सांस लेने में कठिनाई
  • शरीर का कम तापमान
  • कमजोर प्रतिरक्षा
  • ठंड लगना
  • सेंसिटिव त्वचा
  • घाव भरने में अधिक समय लगना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • थकान और
  • चिड़चिड़ापन

डॉ अग्रवाल ने कहा, "गंभीर कुपोषण वाले बच्चों को कुछ भी नया सीखने में बहुत अधिक समय लगता है। इनका बौद्धिक विकास कम होता है। इन्हें मानसिक कार्य करने में कठिनाई होती है और पाचन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति जीवन में लंबे समय तक बनी रहती है।"

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