सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत जापानी इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के उपाय होने थे, इंटेरो वायरल रोकने के लिये हर 10 घरों पर एक इंडिया मार्क हैण्डपम्प लगना था। जब तक खुले में शौच बंद नहीं होगा, पर्याप्त संख्या में इण्डिया मार्क हैण्डपम्प नहीं लगेंगे तब तक यह बीमारी नहीं जाएगी।
उन्होंने कहा कि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए एहतियाती उपाय करने की बजाय सब इसके इलाज पर काम कर रहे हैं, जबकि इसका कोई इलाज ही नहीं है। यह बीमारी इसलिए ही बनी हुई है, जब तक इसकी रोकथाम को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक कुछ नहीं होगा।
ऐसे बचें इस भयानक बीमारी से
- डॉक्टर सिंह ने कहा कि इसकी रोकथाम के लिये होलिया मॉडल ऑफ वॉटर प्यूरीफिकेशन का प्रयोग किया जाना चाहिये। जिसमें स्वास्थ्य संगठन ने भी इस पर मुहर लगायी है।
- पानी को साफ करने की इस सर्वसुलभ पद्धति के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसमें पीने के साफ पानी को किसी साफ बर्तन में छह घंटे के लिए धूप में रख देने से उसके सारे विषाणु मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस पद्धति को हर व्यक्ति अपना सकता है क्योंकि इसपर किसी तरह का कोई खर्च नहीं आता है।
- पूर्वांचल में ही दिमागी बुखार का प्रकोप फैलने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने बताया कि इस इलाके में सबसे ज्यादा अशिक्षा और पिछड़ापन है। लोगों में साफ-सफाई की आदत नहीं है। साथ ही जागरूकता की कमी की वजह से यह इलाका इन संचारी रोगों का गढ़ बना हुआ है।
- उन्होंने इंसेफेलाइटिस की रोकथाम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि योगी इस बीमारी के उन्मूलन के लिये वर्ष 1996 से लगातार काम कर रहे हैं। योगी के प्रयासों से ही वर्ष 2006 में 65 लाख बच्चों को टीके लगाये गये थे।
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