विकास के नाम पर प्रकृति के साथ कितनी छेड़खानी हो रही है ये हम सभी जानते हैं। पेड़ काटे जा रहे हैं, जंगलों को नष्ट किया जा रहा है, नदियों का रुख मोड़ा जा रहा है। इतना ही नहीं बढ़ता प्रदूषण मनुष्य, पशु-पक्षियों और समुद्री जीवों का जीवन संकट में डाल रहा है। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हम इंसान ही हैं। प्रदूषण के कारण न धरती रहने लायक बची है और पानी पीने के लायक रहा है। समुद्रों का पानी दूषित हो रहा है। ऐसी चीजों को उत्पादन बढ़ रहा है जो सिर्फ प्रदूषण बढ़ा रही हैं। 5 हजार अरब टन से ज्यादा टॉक्सिन्स पर्यावरण में छोड़े जा रहे हैं। हालात ये हैं कि 12,000 से ज्यादा स्पिशीज विलुप्त हो चुके हैं और हजारों विलुप्ति होने के कागर पर हैं।
ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिए आपको जरूरी कदम उठाने चाहिए। एक पहल करके तो देखो आपको खुद से अच्छा महसूस होगा। जिस प्रकृति ने हमें इतना कुछ दिया है उसे बचाने के लिए आपको अपने हाथ जरूर आगे बढ़ाने चाहिए। आप इसकी शुरुआत अपने परिवार और घर से ही कर सकते हैं।
प्रकृति को बचाने के लिए बढ़ाएं अपने हाथ
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सबसे पहला कदम प्लास्टिक को नो कहें। आप अपने घर में प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें। खासतौर से पॉलिथिन पर रोक लगा दें।
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घरों में प्लास्टिक की जगह पर स्टील और कांच की बोतल का इस्तेमाल करें। बाहर से पानी से बोतल न खरीदें हमेशा अपनी बोतल साथ लेकर चलें।
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कागज का कम से कम इस्तेमाल करें। टॉयलेट पेपर बनाने में हर रोज पूरी दुनिया में 27,000 पेड़ काटे जाते हैं। आप टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल बंद कर दें।
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जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल न करें। पानी को बचाएं जितना हो सके कम खर्च करें या फिर पानी का रीयूज जरूर करें। नेचुरल रिसोर्स को बढ़ाने के लिए काम करें।
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पुरानी चीजों को फेंके नहीं बल्कि उन्हें रीसाइकल करके फिर से अपने इस्तेमाल में लाने की कोशिश करें।
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घर के आसपास हर साल कम से कम 10 पेड़ लगाने का संकल्प लें। इससे आस-पास हरियाली बढ़ेगी और हवा में प्रदूषण भी कम होने लगेगा।
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वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करें। ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। इलेक्ट्रिक व्हीकल या साइकिल का उपयोग करें।
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सब्जी खरीदने मार्केट में जाएं तो प्लास्टिक के बैग्स को ना कहें। अपने घर से कपड़े का बैग लेकर जाएं। जितना हो सके अपनी लाइफ से प्लास्टिक को कम करें।